Ratan Tata Passed Away: टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा अब हम सभी के बीच नहीं रहे। रतन टाटा वो नाम हैं जिन्होंने देश का सबसे पुराना कारोबारी घराना टाटा ग्रुप को एक नए मुकाम पर पहुंचाया। उनका नाम केवल कारोबार जगत में ही नहीं, बल्कि देश के हर उम्र के लोगों की जुबां पर भी रहता है। रतन टाटा जितने बड़े बिजनेसमैन थे उतने ही दानवीर और परोपरकारी भी थे। रतन टाटा अपनी कंपनी और अपनी कंपनी के कर्मचारियों को लेकर हमेशा सजग रहे हैं। कर्मचारियों को वो अपने परिवार का हिस्सा मानते थे, इसलिए जब बात टाटा मोटर्स के कर्मचारियों की आई, तो वो अपने स्टाफ के लिए गैंगस्टर से भी भिड़ गए।
एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने उस घटना का जिक्र किया था कि टाटा मोटर्स के कारोबार को गैंगस्टर नुकसान पहुंचाना चाहते थे। गैंगस्टर टाटा मोटर्स के कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाने के लिए उनके साथ मारपीट कर रहा था, उन्हें डरा-धमका रहा था। रतन टाटा ने गैंगस्टर को रोकने के लिए खुद मोर्चा संभाला। उन्होंने बताया कि टाटा संस के चेयरमैन पद संभालने के 15 दिन बाद ही टाटा मोटर्स में हलचल पैदा हो गई। वहां काम बंद होने की नौबत आ गई। यह घटना साल 1980 के दौर की थी।
कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया
दरअसल, सोशल मीडिया पर 2015 एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने इंटरव्यू में पूरी घटना के बारे में बताया था। एक गैंगस्टर उनकी कंपनी टाटा मोटर्स के कर्मचारियों से रंगदारी वसूलने की कोशिश कर रहा था। वो टाटा मोटर्स के काम में मुश्किल खड़ा कर रहा था। कर्मचारियों में फूट डालने की कोशिश कर रहा था। उसने कंपनी के करीब 2000 कर्मचारियों को अपने साथ कर लिया था। फूट डालने, डराने-धमकाने के साथ-साथ गैंगस्टर टाटा मोटर्स के कर्मचारियों के साथ मारपीट करता था और उन्हें काम बंद करने के लिए डरा-धमका रहा था। बाकी कर्मचारियों ने गैंगस्टर के डर से काम बंद कर दिया। गैंगस्टर टाटा मोटर्स के यूनियन पर कब्जा कर कंपनी में कर्मचारियों की हड़ताल करवाना चाहता था, लेकिन रतन टाटा ऐसा होने नहीं देना चाहते थे।
प्लांट में कई दिनों तक रहे रतन टाटा
फिर क्या रतन टाटा खुद प्लांट पहुंच गए। कई दिनों तक वहीं रहें। कर्मचारियों को भरोसा दिलाया कि वो उनके साथ हैं। वो कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते रहे, उन्हें वापस से काम शुरू करने के लिए प्रेरित करते रहे। रतन टाटा की कोशिशों की वजह से गैंगस्टर पकड़ा गया। प्लांट में भी फिर से काम शुरू हो गया। इसके साथ ही टाटा में कंपनी और कर्मचारियों के बीच मजबूत संबंधों की नई शुरुआत भी हुई।
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