नई दिल्ली। देश का मध्यम वर्ग सबसे बड़ा कर दाता है। मगर आजादी के बाद से ही वह सिर्फ चुनावी मोहरा बनकर रह गया है। मध्यम वर्ग को अक्सर यह बात अखरती है कि सरकारें बजट में उसका उतना ध्यान नहीं रखतीं, जितना कि अन्य का रखा जाता है। देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार तय करने से लेकर सरकारें बनवाने और बिगाड़ने में (यानि वोट में सक्रिय भागीदारी निभाने में) भी मध्यम वर्ग सबसे आगे है। मगर सबसे ज्यादा महंगाई का बोझ भी यही वर्ग झेलता है। यही वजह है कि देश का मध्यम वर्ग हमेशा अपनी पीड़ा गाता फिरता है, मगर उस पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। लोकसभा में आज राहुल गांधी और कांग्रेस के हमले का जवाब देते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस "मध्यम वर्ग" की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। इसके साथ ही उन्होंने संकेतों ही संकेतों में यह भी बता दिया है कि 2024 का चुनाव भाजपा मध्यम वर्ग को केंद्र में रखकर लड़ेगी। आइए अब आपको बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने मध्यम वर्ग के लिए क्या कहा?
पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए देश के मध्यम वर्ग की बदहाली के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पहले (कांग्रेस की सरकार में) मध्यम वर्ग को पूरी तरह नकार दिया गया था, वो मानकर चल रहा था कि हमारा कोई नहीं, हमारी बात और तकलीफ समझने वाला कोई नहीं है। मगर हमारी सरकार ने हताशा में डूबे इस मध्यम वर्ग की ईमानदारी को पहचाना है, उन्हें सुरक्षा प्रदान की है। वह देश को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का इशारा बजट सत्र में लंबे अरसे बाद मध्यम वर्ग को दी गई कर में रियायतों की ओर भी था। साथ ही उनके लिए उपलब्ध कराई गई वो सुविधाएं, जिसका सबसे बड़ा लाभार्थी मध्यम वर्ग ही है।
डेटा पर कांग्रेस को लपेटा
प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यम वर्ग को बदहाल बनाने के लिए जब कांग्रेस को कोसना शुरू किया तो उन्होंने अपनी सरकार द्वारा उसे दी जा रही सहूलियतों को भी गिनवाया। पीएम मोदी ने इंटरनेट के सबसे बड़े यूजर्स मध्यम वर्ग को मिली सहूलियतों की ओर ध्यान आकृष्ट करवाते कहा कि 2014 के पहले एक जीबी डेटा की कीमत 250 रुपये थी और आज सिर्फ 10 रुपये है। एवरेज हमारे देश में एक नागरिक 20 जीबी डेटा का इस्तेमाल करता है। इस हिसाब से औसतन एक व्यक्ति का 5000 रुपये बचता है। इसके बाद उन्होंने सस्ती दवाओं की बात की। इसका भी सबसे बड़ा लाभार्थी मध्यम वर्ग ही है, क्योंकि गरीबों को तो मुफ्त में दवाएं मिल जाती हैं। वहीं अमीरों को महंगी दवाओं से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। मगर मध्यम वर्ग दवा खरीदने में ही मारा जाता है।
प्रधानमंत्री जनऔषधि स्टोर ने मध्यम वर्ग को दी राहत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को बखूबी समझते हैं कि मध्यम वर्ग की कमाई का अधिकांश पैसा पढ़ाई और दवाई में जाता है। ऐसे में प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना से पहुंच रहे मध्यम वर्ग को लाभ की ओर वह विपक्ष का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बोले कि इस केंद्र पर अब 100 रुपये की दवा महज 10-20 रुपये में मिलती है। जबकि पहले महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती थीं। गरीबों के साथ मध्यम वर्ग को मिले 5 लाख रुपये के वार्षिक स्वास्थ्य बीमा का भी उन्होंने जिक्र किया। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना में मध्यम वर्ग को दी जाने वाली छूट की ओर भी प्रधानमंत्री ने सबका ध्यान खींचा।
इंफ्रास्ट्रक्चर को मध्यम वर्ग से जोड़ा
प्रधानमंत्री ने जब मध्यम वर्ग का जिक्र शुरू किया तो उन्होंने देश में हुए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की गाथा भी सुनाई। उन्होंने यह तो नहीं कहा कि इसका सबसे बड़ा लाभार्थी मध्यम वर्ग है, लेकिन यह सब कहकर उन्होंने इस वर्ग को हासिल हुई सुविधाओं की ओर इशारा जरूर किया। पीएम मोदी ने कहा कि समय की मांग है कि अब समय नहीं गंवा सकते। इसलिए हमने इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ ध्यान दिया। हाईवेज पर रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। भारत में चौड़ी सड़कें, हाईवे, एक्सप्रेस-वे देश की नई पीढ़ी देख रही है। रेलवे की पहचान धक्का-मुक्की, एक्सीडेंट, लेट-लतीफी बन गई थी, लेकिन अब ट्रेनों के अंदर वंदे भारत की मांग हर राज्य कर रहा है।
प्रधानमंत्री जानते हैं कि इन सब सुविधाओं का सबसे बड़ा लाभार्थी वही मध्यम वर्ग है, जो सड़क मार्ग से आवागमन करता है, रेलवे में सफर करता है। उन्होंने यह बताने की कोशिश किया कि पहली बार किसी सरकार ने मध्यम वर्ग की सुविधाओं पर फोकस किया है। इस दौरान उन्होंने मुफ्त राशन और गैस कनेक्शन की सुविधाओं का भी जिक्र किया। यानि बिजली, पानी और कनेक्टिविटी पर सरकार ने अधिक ध्यान दिया।
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