देहरादून: अंकिता भंडारी हत्याकांड का मामला उत्तराखंड विधानसभा में भी उठा। विपक्ष ने सरकार से मामले की जांच को लेकर सवाल किया। जिसके जवाब में उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड की छानबीन सही दिशा में बढ़ रही है। अगर उच्च न्यायालय से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का आदेश दिया जाता है तो सरकार उसका पालन करेगी । राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष द्वारा उठाए गए अंकिता हत्याकांड के मुद्दे पर जवाब देते हुए प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि मामले की विवेचना पुलिस की एसआईटी (विशेष जांच दल) कर रही है और वह सही जांच कर रही है । उन्होंने कहा, ''मैं जिम्मेदारी से सदन को बताना चाहता हूं कि एसआईटी के पास अंकिता हत्याकांड के पर्याप्त साक्ष्य हैं और कोई साक्ष्य नष्ट नहीं हुआ है ।''
'रिजॉर्ट में ‘रेजिडेंशियल सूट’ को ही ‘VIP सूट’ कहा जाता है'
मंत्री ने यह भी कहा कि रिजॉर्ट के कर्मियों ने एसआईटी को बताया है कि रिजॉर्ट में ‘रेजिडेंशियल सूट’ को ही ‘वीआईपी सूट’ कहा जाता है और वहां ठहरने वालों को ‘वीआईपी’ अतिथि के नाम से संबोधित किया जाता था । उन्होंने कहा कि रिजॉर्ट से मिले रजिस्टर तथा ऑनलाइन बुकिंग के रिकॉर्ड से अब तक किसी ‘वीआईपी’ का नाम प्रकाश में नहीं आया है । मंत्री ने कहा कि मामले को सीबीआई को सौंपे जाने से संबंधित मामला उच्च न्यायालय में है और वहां भी एसआईटी ने अपने साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं । घटना को बहुत गंभीर और निंदनीय बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर उच्च न्यायालय इस हत्याकांड की जांच के बारे में कोई आदेश देता है तो राज्य सरकार उस आदेश का पूरी तरह से अनुपालन करेगी ।
सबूत नष्ट करने का आरोप
बता दें, ऋषिकेश के पास पौड़ी जिले के वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करने वाली 19 वर्षीया अंकिता की सितंबर में रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर चीला नहर में कथित तौर पर धक्का देकर हत्या कर दी थी । आरोप लगाया जा रहा है कि किसी वीआईपी को 'एक्सट्रा सर्विस' देने से मना करने पर अंकिता की हत्या की गयी । घटना के सामने आने के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। हत्या से उपजे जनाक्रोश के बाद सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया लेकिन विपक्ष तथा अंकिता के माता-पिता सबूत नष्ट करने का आरोप लगाते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की मांग कर रहे हैं ।