Highlights
- काशी के संतो को कश्मीर भेजने की रखी मांग
- 'काशी धर्म परिषद' ने एक आयोग गठित करने की मांग की
- 'काशी के संत कश्मीर में ध्वस्त मंदिरों का लगाएंगे पता'
जब से कोरोना काल शुरू हुआ है, तब से लेकर 'The Kashmir Files' फिल्म के रिलीज होने के पहले तक सिनेमा हॉल में इतनी भीड़ नहीं देखी गई, जितनी इस फिल्म रिलीज होने के बाद देखी जा रही है। इस फिल्म को देखने के लिए आम लोग ही नहीं नेता और साधु-संत भी काफी संख्या में सिनेमा हॉल पहुंच रहे हैं । जनता की भावनाओं को देखते हुए कई प्रदेश की सरकारों ने इस फिल्म को टैक्स फ्री भी कर दिया है।
दमदार कहानी दर्शकों के दिलों को छू रही
11 मार्च को रिलीज हुई इस फिल्म में 1990 में कश्मीर विद्रोह के दौरान हुए कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को दिखाया गया है । कश्मीरी पंडितों की पीड़ा और तकलीफों पर बनी डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म दर्शकों के दिलों को छू रही है । फिल्म की दमदार कहानी और किरदारों की लोग जी भरकर प्रशंसा कर रहे हैं और भावुक भी हो रहे हैं ।
काशी के साधु-संत जाएंगे कश्मीर?
शायद यह पहला मौका होगा जब साधु-संत भी फिल्म देखने मूवी थियेटर पहुंच रहे हों । 'द कश्मीर फाइल्स' देखने के बाद संत समाज आक्रोशित हो गया है और नरसंहार के दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहा है । इस बीच काशी धर्म परिषद ने मांग की है कि वाराणसी के साधु और संतों का एक आयोग गठित किया जाना चाहिए । और इसके सदस्यों को कश्मीर भेजा जाना चाहिए ताकि 1990 के दशक में आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में ध्वस्त हुए मंदिरों का सही से पता लगाया जा सके।