Highlights
- बड़ा चट्टान पृथ्वी से टकरा जाए तो पृथ्वी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी
- ब्रह्मांड का विस्तार तेजी से हो रहा है
- सूर्य पर हमेशा विस्फोट होते रहते हैं
The Earth will End: पृथ्वी का जन्म लगभग 4.5 करोड़ों वर्ष पूर्व में हुआ था। जीवाश्म के मुताबिक, अब तक हम सभी पृथ्वी पर 3.5 करोड़ वर्ष बिता चुके हैं। पृथ्वी के निर्माण होने के बाद कई प्राकृतिक आपदा और मानवीय महामारियों का सामना किया गया। दुनिया के कई हिस्सों में सुनामी, बाढ़ और भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं ने धरती पर रहने वाले लोगों चोटे पहुंचाई। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 1 दिन धरती से इंसानों का खात्मा हो जाएगा और इसका जिम्मेदार इंसान ही होंगे। क्या सच सच में हो सकता है कि आने वाले समय में इंसान ही धरती को खत्म कर देंगे। तो आइए इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सभी पहलुओं को समझते हैं।
डायनासोर कैसे मरे?
एक जमाने में धरती पर डायनासोर जैसे विशाल जानवर हुआ करते थे लेकिन आज के समय वो विलुप्त हो चुके हैं। ऐसा क्या हुआ था कि डायनासोर का सफाया धरती से हो गया था। इसके पीछे प्राकृतिक आपदा ही था। वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी से कई विशाल asteroid टकराए। जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले जीवों पर असर हुआ और धीरे-धीर मौत की आग में समा गए। आने वाले भविष्य में ऐसा हो सकता है कि धरती से कोई विशालकाय asteroid टकरा जाए तो धरती पूरी तरह से नष्ट हो जाये। हालांकि धरती पर पहले भी asteroid टकराए हैं लेकिन काफी छोटे-छोटे asteroid टकराए। आपके मन सवाल आ रहा होगा कि फिर कुछ हुआ क्यों नहीं। आपको बता दें कि ये काफी छोटे होते हैं और इसके आलावा यह भी निर्भर करता है कि asteroid पृथ्वी के किस भाग में टकराते हैं।
ये है क्या asteroid?
अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि asteroid क्या है? आपको बता दें कि इस सौर मंडल में बड़े-बड़े चट्टान घूमते रहते हैं। यह पृथ्वी और अन्य ग्रहों के अगल-बगल परिक्रमा करते हैं और इनकी गति काफी होती है, अगर कोई बड़ा चट्टान पृथ्वी से टकरा जाए तो पृथ्वी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
ब्रह्मांड का विस्तार होना
जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे-वैसे हमारे ब्रह्मांड का भी विस्तार तेजी से हो रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले समय में सभी ग्रह एक दूसरे से काफी दूर हो जाएंगे। इसके साथ ही सूर्य भी काफी दूर चला जाएगा। जिसके कारण से पृथ्वी पर पर्याप्त ऊर्जा पहुंच नहीं पाएगी। पृथ्वी धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर पहुंच जाएगी। एक समय ऐसा भी आएगा कि पृथ्वी आने वाले समय में एक बर्फ का गोला बन जाएगा।
सौर प्रज्वाल भी मुख्य कारण?
सूर्य पर हमेशा विस्फोट होते रहते हैं। इन विस्फोटों से सौर प्रज्वाल बनता है। इन्हीं सौर प्रज्वाल में से बड़े घातक घातक परमाणु कण निकलते हैं। जो 64 लाख प्रति सेकंड स्पीड के अनुसार पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं। यह इतने खतरनाक होते हैं कि पृथ्वी से एक बार टकराए जाए तो धरती को पूरी तरह से खत्म कर देंगे। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि यह पृथ्वी पर फिर आते क्यों नहीं है? आपको बता दें कि पृथ्वी पर हमारा एक ऐसा मैग्नेटिक फील्ड है जो हमारी रक्षा करता है। अगर पृथ्वी पर सौर प्रज्वालो ने दस्तक दे दी तो सबसे पहले बिजली और संचार पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। हमारी धरती पर अंधेरा छा जाएगा।
क्या चुंबकीय बल पृथ्वी से खत्म हो जाएगा?
एक समय मंगल ग्रह को भी चुंबकीय बल सुरक्षा करता था लेकिन आज के समय में मंगल ग्रह के पास यह सुरक्षा कवच नहीं है। कई बार सुनने को आया है कि चुंबकीय शक्तियां खत्म हो रही है। हालांकि कोई चिंता का विषय नहीं है। इस पर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिजल्ट जे हैरिसन ने बताया कि ऐसा कोई पुख्ता सबूत अब तक नहीं मिला है जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि आने वाले समय में पृथ्वी से चुंबकीय बल खत्म हो जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग है मुख्य कारण
पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में पूरी तरह से आ गया है। ग्लोबल वार्मिंग मतलब आसान भाषा में समझे कि पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही साथ पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड का मात्रा अधिक हो रहा है। जिसके कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। आपने देखा होगा कि मौसम में कैसे बदलाव आ रहे हैं। बिन मौसम बारिश होने लग रहा है। जिस जगह पर कभी बारिश नहीं होती थी उन जगहों पर भारी वर्षा और बाढ़ आ रहे हैं। जिससे मानवीय नुकसान काफी हो रहा है।
इस साल यूरोप में भीषण गर्मी
यूरोप ऐसे तो यह ठंडा प्रदेश है लेकिन इस वक्त सबसे अधिक गर्मी से कोई क्षेत्र गुजर रहा है तो वो यूरोप है। इस वक्त यूरोप में भीषण गर्मी पड़ रही है। जिसके कारण कई हजार लोगों की मौत हो चुकी है। पाकिस्तान में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है, हजारों लोगों की जान चली गई है। पाकिस्तान जैसे गरीब देश में बाढ़ ने इस कदर से तबाही मचाई है कि लोगों को सड़कों पर आना पड़ा है और खाने के लिए भी सोचना पड़ रहा है। यह ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही हो रहा है। यानी क्लियर है कि आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से धरती पूरी तरह से पानी में समा जाएगी।