सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि फ्लैट के मालिक और बिल्डरों के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अपार्टमेंट का कब्जा लेने के बाद भी उपभोक्ता बिल्डर द्वारा सुविधाओं को लेकर किए गए वादों के खिलाफ अपना अधिकार नहीं खोते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई बार हालात के कारण फ्लैट ओनर्स अपने अपार्टमेंट पर कब्जा ले लेते हैं। इस दौरान कई बार बिल्डरों द्वारा किए गए वादों को पूरा नहीं किया जाता है। लेकिन फ्लैट पर कब्जा लेने के बावजूद भी मालिकों के अधिकार जो बिल्डरों द्वारा उन्हें देने को लेकर वादा किया गया था वह उसे नहीं खोते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की अगुवाई वाली बेच द्वारा यह फैसला सुनाया गया है। दरअसल कंज्यूमर फोरम के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी। इस मामले की सुनवाई के लिए दोबारा इस मामले को कंज्यूमर फोरम भेज दिया गया है। बता दें कि नेशनल कंज्यूमर फोरम ने फ्लैट मालिकों की ओर से दाखिल मुआवजे की अपील को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने फ्लैट पर कब्जा ले लिया है।
कंज्यूमर फोरम को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंज्यूमर फोरम की लापरवाही भरे फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि मौजूदा वक्त की वास्तविकता को उन्हें समझना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी राय में कंज्यूमर फोरम मौजूदा हकीकत को समझने में चूक गया होगा। फ्लैट खरीददारों द्वारा हमेशा बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों की ओर से दिए गए लोन के आधार पर फ्लैट खरीदा जाता है। फ्लैट के मालिकों द्वारा लोन देने वाले संस्थाने से करार किया जाता है जिस कारण एक तय समय में ही लोन की किश्ते शुरू हो जाती है।
इस तरह की स्थिति में अगर घर का निर्माण पूरा नहीं हो पाता है, बावजूद इसके मजबूरन फ्लैट मालिक अपना कब्जा लेने को लेकर बाध्य हो जाते हैं। बता दें कि यह मामला कोलकाता का है जहां एक बिल्डर के खिलाफ फ्लैट मालिक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।