Friday, November 22, 2024
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जम्मू-कश्मीर में आने वाली है अब तक की सबसे बड़ी शांति, फारूक अब्दुल्ला के दावे ने उड़ाई दुश्मन पाकिस्तान की नींद

Peace in Jammu & Kashmir:कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए हटने के बाद से ही माहौल धीरे-धीरे बदलना शुरू हो गया था, लेकिन अब इस राज्य में शांति का वह दौर आने वाला है, जो अबसे पहले कभी नहीं हुआ।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: October 30, 2022 11:15 IST
फारुक अब्दुल्ला- India TV Hindi
Image Source : PTI फारुक अब्दुल्ला

Peace in Jammu & Kashmir:कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए हटने के बाद से ही माहौल धीरे-धीरे बदलना शुरू हो गया था, लेकिन अब इस राज्य में शांति का वह दौर आने वाला है, जो अबसे पहले कभी नहीं हुआ। यानि मतलब साफ है कि केंद्र सरकार ने विकास और लोगों के कल्याणकारी नीतियों पर फोकस करने से घाटी समेत पूरे राज्य का वातावरण काफी तेजी से बदल रहा है। अब स्थानीय लोगों को भी समझ में आने लगा है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जो कुछ भी किया है और आगे जो कुछ भी कर रही है,वह उन लोगों की भलाई के लिए ही है।

अभी तक जम्मू-कश्मीर में दहशत और दर्द भरी जिंदगी जी रहे लोगों को अब उम्मीद की नई किरण दिखाई देने लगी है। इसी लिए नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में अब तक की सबसे बड़ी शांति आने की उम्मीद जताई है। यह बात अलग है कि अब्दुल्ला के इस भरोसे को देखकर दुश्मन पाकिस्तान और चीन की नींद भी उड़ गई है। जो कश्मीर के खिलाफ नफरत और झूठ का एजेंडा चलाते हैं।

अब्दुल्ला ने कहा है कि उन्हें केंद्र-शासित प्रदेश में शांति लौटने बड़ी उम्मीद जगी है। वह अमन और शांति की कामना करते हैं। ताकि सभी समुदाय बिना किसी डर के रह सकें। 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन से पहले तत्कालीन राज्य में मौजूद सांप्रदायिक सौहार्द को याद करते हुए उन्होंने कहा, “एक समय था, जब हम साथ थे और फिर एक लहर आई और हम अलग हो गए।” अब्दुल्ला ने शनिवार को कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़े हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.उपेंद्र कौल की लिखी पुस्तक ‘वेन द हार्ट स्पीक्स-मेमॉयर्स ऑफ ए कार्डियोलॉजिस्ट' का विमोचन करने के बाद यह बात कही।

अब वह दौर आने की उम्मीद करते हैं कि घाटी में बिना डर के लोग रह सकेंगे

कार्यक्रम में नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें यह पुस्तक बहुच दिलचस्प लगी। इसमें डॉ.कौल की जीवन यात्रा के साथ ही घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन से पहले मौजूद सांप्रदायिक सौहार्द के बारे में जानकारी दी गई है। अब्दुल्ला ने कहा कि पंडितों के पलायन के समय कश्मीरी मुसलमान मूकदर्शक बने हुए थे, क्योंकि “वे खुद डरे हुए थे।” उन्होंने कहा, “वे संबंध अभी तक बहाल नहीं हुए हैं। कब बहाल होंगे, मुझे नहीं पता। हम उन दिनों के लौटने की प्रार्थना करते हैं, जब हम सभी बिना किसी डर के घाटी में रहते थे। अब उम्मीद है कि केंद्र सरकार के प्रयासों से घाटी में पहले से भी ज्यादा बेहतर और भय रहित माहौल कायम हो सकेगा। यहां सभी धर्म के लोग फिर से मिल-जुलकर रहेंगे।

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