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Terror Funding Case: जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों के खिलाफ जम्मू और डोडा में NIA ने की छापेमारी, टेरर फंडिंग से जुडे़ हैं संगठन के तार

Terror Funding Case: उन्होंने बताया कि दोनों जिलों के विभिन्न हिस्सों में जमात-ए-इस्लामी के पदाधिकारियों और सदस्यों के करीब 10 से अधिक ठिकानों पर एक ही समय पर छापेमारी की जा रही है। छापेमारी सोमवार तड़के शुरू की गई थी।

Written By: Shailendra Tiwari @@only_Shailendra
Published : Aug 08, 2022 13:38 IST, Updated : Aug 08, 2022 13:38 IST
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Image Source : FILE PHOTO Representational Image

Highlights

  • अलगाववादी गतिविधियों के लिए कर रहे थे फंड का इस्तेमाल
  • फरवरी 2019 में जेईआई पर 5 साल का लगा था बैन
  • साल 1941 में बना था जमात-ए-इस्लामी संगठन

Terror Funding Case: नेशनल इंवेस्टिगेशन एंजेसी (NIA) ने आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में बैन संगठन जमात-ए-इस्लामी (JEI) के सदस्यों के खिलाफ जम्मू और डोडा जिले में कई स्थानों पर सोमवार को छापेमारी की। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। 2019 में केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को प्रतिबंधित कर दिया था। NIA ने संगठन के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है। सोमवार तड़के NIA ने छापेमारी की है।

10 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ छापेमारी

उन्होंने बताया कि दोनों जिलों के विभिन्न हिस्सों में जमात-ए-इस्लामी के पदाधिकारियों और सदस्यों के करीब 10 से अधिक ठिकानों पर एक ही समय पर छापेमारी की जा रही है। छापेमारी सोमवार तड़के शुरू की गई थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डोडा जिले में धारा-गुंडाना, मुंशी मोहल्ला, अकरमबंद, नगरी नई बस्ती, खरोती भगवाह, थलेला और मालोती भल्ला और जम्मू के भटिंडी में छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में छापेमारी की जा रही है। बांदीपोरा में पूर्व जमात अध्यक्ष के आवास, अनंतनाग जिले में मुश्ताक अहमद वानी पुत्र गुलाम हसन वानी, नजीर अहमद रैना पुत्र गुलाम रसूल रैना, फारूक अहमद खान पुत्र मोहम्मद याकूब खान और आफताक अहमद मीर, अहमदुल्ला पारे के ठिकानों पर छापेमारी हुई है। उधर, बडगाम जिले में डॉ. मोहम्मद सुल्तान भट, गुलाम मोहम्मद वानी और गुलजार अहमद शाह समेत कई जमात नेताओं के आवासों पर भी छापेमारी की गई है। उधर, श्रीनगर में सौरा निवासी गाजी मोइन-उल इस्लाम के आवास और नौगाम में फलाह-ए-आम ट्रस्ट पर NIA द्वारा छापेमारी की जा रही है। 

हिंसक और अलगाववादी गतिविधियों के लिए कर रहे थे फंड का इस्तेमाल

NIA द्वारा 5 फरवरी 2021 को स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज किया गया यह मामला कुछ JEI सदस्यों की गतिविधियों से संबंधित है, जो देश-विदेश से दान और अन्य कल्याणकारी कामों के लिए फंड इकट्ठा कर रहे थे लेकिन कथित तौर पर इस धन का इस्तेमाल ‘‘हिंसक और अलगाववादी गतिविधियों’’ के लिए किया जा रहा था। यह संगठन जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख तौर पर जिम्मेदार माना जाता रहा है।

JEI पर 5 साल का बैन लगा दिया गया था

NIA  के मुताबिक, संगठन द्वारा जुटाई जा रही धनराशि जमात-ए-इस्लामी के सुव्यवस्थित नेटवर्क के माध्यम से हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को भी पहुंचाई जा रही थी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आतंकवादी संगठनों से संबंधों और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का हवाला देते हुए फरवरी 2019 में जेईआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था।

कब बना था संगठन

साल 1941 में जमात-ए-इस्लामी संगठन बनाया गया था। जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) कश्मीर की सियासत में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। 1971 में इस संगठन ने चुनावी मैदान में दखल किया। हालांकि तब इसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। जमात-ए-इस्लामी काफी लंबे समय से कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की मुहिम भी चला रहा है। सूत्रों ने बताया कि घाटी में कार्यरत कई आतंकी संगठन जमात के इन मदरसों और मस्जिदों में पनाह लेते रहे हैं। बताया जाता है कि यह संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का राजनीतिक चेहरा है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने ही हिजबुल मुजाहिदीन को खड़ा किया है और उसे हर तरह की मदद करता है।

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