नई दिल्लीः टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने यासीन मलिक को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिग से जिरह करने की इजाज़त दी। कोर्ट ने यासीन मलिक से मामले में लिखित दलील को जमा करने को कहा है। दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 15 सितम्बर को तीन बजे होगी। यासीन मलिक ने मामले की सुनवाई के दौरान फिज़िकली कोर्ट में जिरह करने की मांग की थी।
यासीन मालिक ने खारिज किया कोर्ट का सुझाव
कोर्ट ने यासीन मलिक के लिए एमिकस की नियुक्ति का सुझाव दिया, साथ ही यह भी सुझाव दिया कि यासीन मालिक अपनी तरफ से मामले में किसी वकील का नाम सुझा सकते है जो उनकी तरफ से जिरह करे। यासीन मलिक ने कोर्ट के दोनों सुझाव को मानने से इनकार किया। यासीन ने कहा कि वह खुद मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिग से जिरह करेगा।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यासीन मलिक अगर चाहे तो पिछले साल 4 अगस्त के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है। यासीन मलिक ने कहा वह सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहता है। यहीं पर मामले में सुनवाई में जिरह करना चाहता है। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के पहले के आदेश में सुरक्षा खतरे के कारण वीसी के माध्यम से उनकी उपस्थिति अनिवार्य है। मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
एनआईए ने कोर्ट से की है मौत की सजा देने की मांग
एनआईए ने मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है, जिन्होंने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13 और 15 के साथ आईपीसी की 120बी के अलावा यूएपीए की धारा 17, 18, 20, 38 और 39 के तहत मामले में दोषी ठहराया था। मई 2022 में एक विस्तृत फैसले में विशेष एनआईए कोर्ट ने पाया कि मलिक ने हिंसक रास्ता चुनकर सरकार के अच्छे इरादों को धोखा दिया। जज ने मलिक की इस दलील को भी खारिज कर दिया था कि वह 1994 के बाद गांधीवादी बन गए थे।