शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बन रही संजौली मस्जिद को लेकर बुधवार को तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया। हिंदू संगठनों द्वारा बुलाई गई आक्रोश रैली में हजारों लोग पहुंचे गए और उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस की बैरिकेडिंग को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया और जमकर नारेबाजी की। हालात इस कदर खराब हो गए कि पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियां भाजनी पड़ीं। हालांकि लोग मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़े जाने की अपनी मांग बार-बार दोहराते नजर आए। मस्जिद के इस अवैध निर्माण को लेकर लोगों में काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है।
कैसे बन गई 5 मंजिला अवैध मस्जिद?
पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना कि वे प्रशासन से कई बार मस्जिद में अवैध निर्माण की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। लोगों का आरोप है कि ये मामला किसी धार्मिक स्थल का नहीं बल्कि वैध और अवैध निर्माण का है। 2010 में जब मस्जिद में निर्माण शुरू हुआ तब यहां दुकान हुआ करती थी। कई बार नोटिस दिया गया लेकिन मस्जिद का निर्माण 6750 स्क्वायर फुट तक पहुंच गया। ये जमीन हिमाचल सरकार की है। हालांकि मस्जिद के इमाम का दावा है मस्जिद 1947 से पहले की है और वक्फ बोर्ड की मिल्कियत है।
‘महिलाओं को परेशान किया जाता है’
शिमला में 5 मंजिला इस मस्जिद को लेकर इलाके की महिलओं ने कई बड़े आरोप लगाए हैं और उनका कहना है कि मस्जिद की आड़ में मदरसा चलाया जा रहा है जहां उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक मौलाना पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि यहां पढ़ने के लिए बाहर से लोगों को लाया जाता है जो आए दिन महिलाओं और लड़कियों को परेशान करते हैं। यही वजह है कि हिमाचल की राजधानी में मस्जिद को लेकर बवाल मचा हुआ है और लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं। खुद कांग्रेस के कई नेता भी मस्जिद के निर्माण को अवैध बता रहे हैं और इसे तोड़ने की मांग कर रहे हैं। ऐसे नेताओं में अनिरुद्ध सिंह का नाम प्रमुख है।
2010 से अब तक 45 बार हुई सुनवाई
बता दें कि मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को लेकर 7 सितंबर को म्युनिसिपल कमिश्नर के यहां सुनवाई हुई थी। मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर साल 2010 से लेकर अब तक 45 बार सुनवाई हो चुकी है लेकिन फैसला नहीं आया है। हालांकि इस दौरान मस्जिद दो मंजिला से बढ़ते-बढ़ते 5 मंजिला जरूर बन गई है। इसके साथ ही इलाके में मुस्लिमों की आबादी भी तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि मुसलमान यहां पर बाहर से आकर जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं जिससे शिमला के डेमोग्राफी बदल रही है।