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तेलंगाना हाईकोर्ट ने 'विधायकों की खरीद फरोख्त' केस की जांच रोकी, जानिए क्या है पूरा मामला

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने शनिवार को 'विधायकों की खरीद फरोख्त' मामले में चल रही जांच पर अगले आदेश तक रोक लगा दी।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: October 29, 2022 19:12 IST
तेलंगाना उच्च न्यायालय- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO तेलंगाना उच्च न्यायालय

तेलंगाना हाईकोर्ट ने शनिवार को 'विधायकों की खरीद फरोख्त' मामले में चल रही जांच पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। बता दें कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के चार विधायकों को खरीदने के कथित मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की मांग वाली भाजपा ने याचिका दायर की थी। जिसपर तेलंगाना हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अंतरिम आदेश पारित किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी. विजयसेन रेड्डी ने राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को 4 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

अदालत ने सुनवाई में क्या कहा

कोर्ट में सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील रचना रेड्डी ने कहा कि अदालत ने अगले आदेश तक जांच को अस्थायी रूप से टाल दिया। उन्होंने कहा कि चूंकि टीआरएस नेता बिना प्रथम दृष्टया या परिस्थिति के मुताबिक सबूत के मामले में भाजपा का नाम ले रहे हैं, इसलिए याचिकाकर्ता ने निष्पक्ष जांच के लिए मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि उनका आदेश केवल कुछ दिनों के लिए है और किसी अन्य एकल न्यायाधीश द्वारा आरोपियों की रिमांड की अनुमति देने वाले आदेश के विरोध में नहीं है।

आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश
इससे पहले न्यायमूर्ति एस. सुमलता ने निचली अदालत के तीनों आरोपियों की रिमांड खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया था। न्यायाधीश ने निचली अदालत से आरोपियों को पुलिस द्वारा पेश करने पर न्यायिक हिरासत में भेजने को कहा। न्यायमूर्ति चिलाकुर सुमलता ने साइबराबाद पुलिस द्वारा दायर एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर आदेश पारित किया जिसमें आरोपी की रिमांड को खारिज करने वाले एसीबी विशेष अदालत के न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।

साइबराबाद पुलिस ने खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा 
एसपीई और एसीबी मामलों के पहले अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश ने गुरुवार की देर रात आरोपियों को उनके सामने पेश किए जाने पर रिमांड अर्जी खारिज कर दी थी। न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत आरोपी को नोटिस जारी करने की अनिवार्य प्रक्रिया का पालन करने में विफल रही। इस आदेश को चुनौती देते हुए साइबराबाद पुलिस ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि निचली अदालत ने सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार नहीं किया। न्यायाधीश ने कहा कि यदि जांच अधिकारी को लगता है कि नोटिस जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है, तो वह तदनुसार कार्रवाई कर सकता है।

क्या है विधायकों की खरीद-फरोख्त का केस 
इस आदेश के चंद घंटे बाद साइबराबाद पुलिस ने रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, कोरे नंद कुमार उर्फ नंदू और सिम्हायाजी को गिरफ्तार कर लिया। कथित तौर पर भाजपा के एजेंट तीनों आरोपियों को पुलिस ने 26 अक्टूबर की रात हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापेमारी की। रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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