Highlights
- 13 रिटायर्ड जज, 90 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और आर्म्ड फोर्सेस के 87 पूर्व अधिकारियों ने दिया बयान
- "सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामले में कार्रवाई की जो उसके अधिकार क्षेत्र में था"
- "आरोपी हमेशा ज्यूडिशियल रेमिडी का सहारा ले सकते है"
Teesta Seetalvad Case: पूर्व जज और अधिकारियों के एक ग्रुप ने मंगलवार को कहा कि कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों की समाज के एक वर्ग द्वारा की जा रही निंदा राजनीति से प्रेरित है। समूह ने सीतलवाड़ के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किए जाने का भी समर्थन किया। इस संबंध में 190 पूर्व जज और अधिकारियों के समूह ने एक बयान में कहा कि सीतलवाड़ और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज किया जाना कानून के अनुरूप है और आरोपी हमेशा ज्यूडिशियल रेमिडी का सहारा ले सकते हैं।
राजनीतिक रूप से प्रेरित समाज ने ज्यूडिसरी की ईमानदारी पर लगाया इल्जाम
बयान में कहा गया, "राजनीतिक रूप से प्रेरित समाज के एक वर्ग ने बड़े पैमाने पर ज्यूडिसरी की ईमानदारी पर इल्जाम लगाने का प्रयास किया है और इस मामले में इस वर्ग ने ज्यूडिसरी पर उन टिप्पणियों को हटाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया है जो सीतलवाड़ और उन 2 दोषी पूर्व-आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ हैं जिन्होंने सबूत गढ़ने का काम किया।" समूह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे मामले में कार्रवाई की जो उसके अधिकार क्षेत्र में था और उसकी कार्यवाही में संशोधन के लिए कोई भी कार्रवाई एक रेगुलर ऑफर के रूप में होनी चाहिए।
समूह ने आगे कहा कि यहां तक कि समाज के इस वर्ग का दावा है कि लोग पूरी तरह से तंग हैं और अदालत के आदेश से निराश हैं। 13 सेवानिवृत्त जजों, 90 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और आर्म्ड फोर्सेस के 87 पूर्व अधिकारियों ने अपने बयान में कहा कि लोग कानून का पालन करने वाले सिविल लॉ के कानून को बाधित किए जाने की कोशिश से तंग और निराश हैं।
कई अधिकारी व जज हैं शामिल
हाईकोर्ट के पूर्व जजों- जस्टिस आर.एस.राठौर, एस.एन.ढींगरा और एम.सी.गर्ग के अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव त्रिपाठी, सुधीर कुमार, बी.एस.बस्सी और करनल सिंह, पूर्व आईएएस अधिकारी जी प्रसन्ना कुमार और पी चंद्रा और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) वी.के.चतुर्वेदी साइन करने वालों में शामिल हैं। उनके बयान के कॉपी का टाइटिल "न्यायपालिका में हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं" है।
गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद एक्शन
2002 गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले दिन गुजरात क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़ को अरेस्ट किया था। तीस्ता को मुंबई के संता क्रूज थाने से क्राइम ब्रांच के अधिकारी अहमदाबाद लेकर गए थे। गिरफ्तारी से पहले उन्हें हिरासत में लिया गया था। तीस्ता को मुंबई के सांताक्रूज थाने में रखा गया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ पर और जांच की जरूरत बताई थी। गुजरात दंगों में सीतलवाड़ के NGO की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट ने और जांच की जरूरत बताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि किसके कहने पर सीतलवाड़ ने मोदी के खिलाफ 16 साल कैंपेन चलाया ?