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TEA FACTS: चाय पीने से मौत का खतरा कम, शोध में हुआ खुलासा, जानिए कैसे?

TEA FACTS: भारत में चाय पिने वालों की संख्या करोड़ो में है। देश के हर घरों में चाय से ही सुबह की शुरूआत होती है। ऐसा ही कोई घर होगा, जहां पर चाय नहीं बनता हो। आजकल तो चाय लवर्स का भी एक अलग क्रेज हो गया है। ये

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published on: September 07, 2022 13:58 IST
TEA FACTS- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV TEA FACTS

Highlights

  • 9% और 13% कम मरने का जोखिम होता है
  • दुनिया भर में चाय का बड़े पैमाने पर सेवन किया जाता है
  • 89% ने काली किस्म पीने की बात स्वीकार की

TEA FACTS: भारत में चाय पिने वालों की संख्या करोड़ो में है। देश के हर घरों में चाय से ही सुबह की शुरूआत होती है। ऐसा ही कोई घर होगा, जहां पर चाय नहीं बनता हो। आजकल तो चाय लवर्स का भी एक अलग क्रेज हो गया है। ये ऐसे लवर्स होते हैं जिन्हें चाय नहीं मिले तो पागल हो जाते हैं। अगर आप चाय लवर्स है तो आपके लिए ये खबर खास है। आज हम आपको बताएंगे कि चाय पीने से आपकी उम्र बढ़ती है। यानी जो रेगलुर चाय पिता है तो वो जल्दी नहीं मर सकता है। आइए जानते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है।  

चाय पीने वालों को कम खतरा 

एक हालिया अध्ययन गर्म चाय के लाभों के बारे में शोध हुआ है। चाय न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के कई अन्य देशों में भी पिया जाता है। काली चाय पीने के संभावित मृत्यु दर लाभों की गहन जांच में, ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक चाय पीन से मौत के जोखिम कम हो जाते हैं। यूनाइटेड किंगडम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक डिवीजन, नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया। इन आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, जो लोग हर दिन दो या तीन कप चाय पीते हैं, उनमें न पीने वालों की तुलना में 9% और 13% कम मरने का जोखिम होता है।

शोध के अनुसार, जो लोग रोजाना दो या दो से अधिक कप चाय पीते थे, उनमें उन लोगों की तुलना में किसी भी कारण से मरने का जोखिम 9% से 13% कम था। हृदय रोग, इस्केमिक हृदय रोग, और स्ट्रोक को उच्च चाय पीने से भी जोड़ा गया था जबकि दुनिया भर में चाय का बड़े पैमाने पर सेवन किया जाता है, जर्नल एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन का दावा है कि आबादी में जहां मुख्य रूप से काली चाय का सेवन करती है। चाय पीने और मृत्यु दर के बीच की कड़ी अभी भी स्पष्ट नहीं है।
 
कैसे मृत्यु दरों में कमी आई 
40 से 69 वर्ष की आयु के कुल 4,98,043 पुरुषों और महिलाओं ने अध्ययन में भाग लिया। उनमें से 89% ने काली किस्म पीने की बात स्वीकार की। 2006 और 2010 के बीच, अध्ययन में भाग लेने वालों को एक सर्वेक्षण पूरा करने के लिए कहा गया था, जिसके बाद दस वर्षों से अधिक समय तक इसका पालन किया गया। प्रतिभागियों को लगभग 11 वर्षों तक ट्रैक किया गया था और मौतों पर डेटा यूके नेशनल हेल्थ सर्विस द्वारा बनाए गए एक लिंक किए गए डेटाबेस से एकत्र किया गया था।

कैफीन चयापचय में आनुवंशिक अंतर के बावजूद जो लोग प्रति दिन दो या दो से अधिक कप चाय पीते थे, उनमें मृत्यु दर में कमी आई थी। इन परिणामों का अर्थ है कि चाय खपत के उच्च स्तर पर भी स्वस्थ आहार का हिस्सा हो सकती है। अध्ययन के निष्कर्ष। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वांछित चाय का तापमान, चाहे दूध या चीनी जोड़ा गया हो, या क्या किसी व्यक्ति के आनुवंशिक मेकअप ने प्रभावित किया कि उन्होंने कैफीन को कितनी जल्दी चयापचय किया।

चाय का इतिहास क्या है?
इतिहासकारों के मुताबिक चाय का पौधा सबसे पहले चीन में पाया गया था। यानी हम कह सकते हैं कि चीन से चाय की खेती शुरू हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि ईसा पूर्व 2337 चीन के सम्राट शेन नंग एक बार जंगल के रास्ता से कहीं जा रहे थे तभी उन्हें प्यास लगी और पानी पीने के लिए जब पानी को उबाल आ जा रहा था तभी उबलते हुए पानी में कुछ पत्ते जा गिरे जिसके बाद पानी का कलर चेंज हो गया। राजा ये देखकर काफी आश्चर्यचकित हुए। राजा ने यह निर्णय लिया कि हम इसी तरह पानी को पिएंगे। जब राजा ने गर्म पानी पिया तो उन्हें पीते ही ताजगी महसूस हुई। यहीं से चाय की खोज हुई थी। हालांकि चीन 2 सालों तक इस बात को कन्फ्यूजन में ले कर रहा है कि यह शरीर के लिए लाभदायक है या नहीं। इतिहास बताता है कि 15वीं शताब्दी में पुर्तगाली और फिर डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश व्यापारी चीन पहुंचे और अपने देशों में चाय लाए। इसका स्वाद इतना अनोखा था कि उस समय केवल शाही परिवार ही चाय पी सकता था, क्योंकि इसकी कीमत बहुत अधिक थी। चूंकि चाय चीन के अलावा और कहीं नहीं उगाई जाती थी, इसलिए चीनी व्यापारी चांदी और सोने के बदले यूरोपीय व्यापारियों को चाय देते थे।

अभी चाय की स्थिति क्या है?
हमारा देश चाय उत्पादक देशों में दूसरे नंबर पर आता है। चाय के जरिए देश में तकरीबन 3 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। वही देश में चाय के स्मालहोल्डिंग 157504 है। भारत में चाय की खेती मुख्य रूप से असम और बंगाल में होती है। यहां से चाय पूरी दुनिया में भेजे जाते हैं। हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया कि चाय बागान में काम करने वाले महिलाओं की स्थिति सही नहीं है उनके श्रमिक के बदले पैसे नहीं दिया जा रहा है। वही काम कर रही महिलाओं के साथ कई चुनौतियां भी होती है जिन्हें लेकर कई बार महिलाओं के द्वारा शिकायत किया गया लेकिन अब तक समाधान नहीं निकाला गया।

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