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तवांग में इन हथियारों के सामने टिक न सके 300 चीनी सैनिक, दुम दबाकर भागे, जानें कैसे करते हैं ये काम

तवांग में जारी टेंशन के बीच एलएसी पर भारतीय सेना और वायुसेना पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। ड्रैगन को तवांग से खदेड़ने के बाद आज से ईस्टर्न सेक्टर में वायुसेना ने बड़ी एक्सरसाइज़ शुरू कर दी है। युद्धाभ्यास में वायुसेना के सभी घातक लड़ाकू विमान शामिल हैं।

Reported By : Manish Prasad Edited By : Sailesh Chandra Updated on: December 15, 2022 17:11 IST
Indian Army- India TV Hindi
Image Source : FILE (PTI) Indian Army

Tawang Clash: चीनी सैनिकों की तवांग में ऐसी पिटाई हुई है जिसकी चोट बीजिंग तक महसूस की गई। पूरी दुनिया ये तो जान गई है कि चीनी सैनिकों की डंडे से जबरदस्त पिटाई हुई है लेकिन वो डंडा कहां से आया जिसकी चोट ड्रैगन नहीं सह पाया? भारतीय सैनिकों ने वज्र नाम के नुकीले डंडे से चीनियों को पीटा। खास बात ये है कि इस डंडे से सिर्फ चोट नहीं लगती, करंट का झटका भी देती है। भारतीय सैनिक वज्र और त्रिशूल नाम के नॉन लीथल वेपन से लैश थे जिन्हें चीन को सबक सिखाने के लिए ही तैयार किए गए हैं। मेड इन इंडिया के तहत इन हथियारों को खास तौर पर डिजाइन किया गया है जो करंट के तेज झटके के साथ मुक्के का पंच भी जड़ते हैं। स्टील से तैयार ये नुकीले वज्र करंट से लैस हैं जो प्रहार के साथ साथ तेज झटके देते हैं और दुश्मन देखते ही भागने को मजबूर हो जाता है। 

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यह माइनस टेंपरेचर में भी काम करता है

वहीं सैपर पंच से जोरदार मुक्का जड़ते हुए तेज बिजली के झटके दिए जा सकते हैं। ये क़रीब 8 घंटे तक चार्ज रह सकता है। यह वाटरप्रूफ़ है और माइनस टेंपरेचर में भी काम करता है। इसके साथ हीं जवानों के लिए ख़ास तरह की ढाल तैयार की गई है जो इन्हें पत्थर के हमले से बचाती है। इसमें बहने वाला करंट दुश्मन को ज़ोर का झटका धीरे से देता है तो वहीं करंट से लैस त्रिशूल दुश्मनों के हौसले पस्त करने के लिए काफी है। इन सभी हथियारों के सबसे बड़ी खासियत ये हैं कि सभी बिजली से चार्ज होने वाले हैं और पावरफुल बैकअप है।

गलवान से सबक लेते हुए इन्हें तैयार किया गया है 
बता दें कि गलवान घटना से सबक लेते हुए इन्हें तैयार किया गया है और एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिकों को दिये गए। गलवान घाटी में 2020 में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक मुठभेड़ में बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। चीनी सैनिकों ने इस हिंसक मुठभेड़ में कंटीले तारों वाली लाठियां और इलेक्ट्रिक बैटन का इस्तेमाल किया था जिसके बाद वज्र और त्रिशूल नाम के इन हथियारों से एलएसी पर तैनात सैनिकों को लैस किया गया। इसे नोएडा की कंपनी एपेस्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड ने विकसित किया है।

वायुसेना ने बड़ी एक्सरसाइज़ शुरू
वहीं, तवांग में जारी टेंशन के बीच एलएसी पर भारतीय सेना और वायुसेना पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। ड्रैगन को तवांग से खदेड़ने के बाद आज से ईस्टर्न सेक्टर में वायुसेना ने बड़ी एक्सरसाइज़ शुरू कर दी है। युद्धाभ्यास में वायुसेना के सभी घातक लड़ाकू विमान शामिल हैं। एलएसी के पास हो रहे इस युद्धाभ्यास में राफेल, सुखोई, मिराज के साथ साथ तेजस भी हिस्सा ले रहे हैं। 9 दिसंबर को हुई झड़प के बाद भारतीय वायुसेना के इस युद्धाभ्यास को बेहद अहम माना जा रहा है।

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