भारत में भी मंकी पॉक्स ने दस्तक दे दी है। स्वास्थ्य मंत्राय के अनुसार हाल ही में एक ऐसा (मेल)पेशेंट भारत आया है, जो ऐसी कंट्री में था जहां पर मंकी पॉक्स की बीमारी फैली हुई है। मंकी पॉक्स जैसे लक्षण होने के कारण मरीज को आइसोलेशन में रखा गया और जांच में मरीज के अंदर संक्रमण की पुष्टि हुई है। हालांकि, यह संक्रमण क्लेड-2 का है, जो ज्यादा खतरनाक नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्लेड-1 को लेकर स्वास्थ्य आपातकाल का ऐलान किया है। मरीज को डेसिग्नटेड अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया है और वर्तमान में उसकी हालत स्थिर है।
मामले को स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार संभाला जा रहा है और संपर्क ट्रेसिंग चल रही है ताकि संभावित स्रोतों की पहचान की जा सके और देश के भीतर इसके प्रभाव का आकलन किया जा सके। मरीज किस राज्य का है और किस देश से आया है या भारत आने के बाद किन लोगों से मिला है, इसका खुलासा नहीं किया गया है।
70 से ज्यादा देशों में मंकी पॉक्स का आतंक
एमपॉक्स या मंकी पॉक्स अफ्रीका से फैला और अब दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में अपने पैर पसार चुका है। मंकी पॉक्स से अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस खतरे के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बैठक की और आपातकाल स्थिति घोषित कर दी है। WHO ने मंकी पॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। मंकीपॉक्स का पहला मामला 1958 में सामने आया था। जहां एक कोलोनी में रिसर्च के लिए बंदरों को रखा गया था। साल 1970 में कांगो (डीआरसी) में पहली बार इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे। ये इंसान में फैलने वाला पहला केस था। इसके बाद दूसरे मिडिल और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में लोगों में मंकीपॉक्स के केस सामने आए। अफ्रीका के बाहर अमेरिका, इज़राइल, सिंगापुर में मामले पाए गए हैं। यूके में पहली बार 2018 में एक मामला सामने आया था।
(दिल्ली से अनामिका गौर की रिपोर्ट)