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सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक रूढ़िवादिता पर हैंडबुक में 'सेक्स वर्कर' शब्द में किया संशोधन, जानें अब किन शब्दों का होगा इस्तेमाल

लैंगिक रूढ़िवादिता पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने हैंडबुक में संशोधन किया है। यह संशोधन सेक्स वर्कर शब्द को लेकर है। क्योंकि कई एनजीओ ने इस शब्द के इस्तेमाल को लेकर एक चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी थी।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: November 11, 2023 16:14 IST
Supeme Court- India TV Hindi
Image Source : फाइल सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने अपने लैंगिक रुढ़िवादिता (Gender Stereotypes) हैंडबुक में सेक्स वर्कर शब्द को बदलने का फैसला लिया है। देश की शीर्ष अदालत ने एंटी ट्रैफिकिंग एनजीओ के एक समूह द्वारा चिंता जताने के बाद यह फैसला लिया। सेक्स वर्कर की जगह अधिक समावेशी भाषा का उपयोग किया जाएगा। क्योंकि सेक्स वर्कर शब्द लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देता है।

एनजीओ समूह ने लिखी थी चिट्ठी

दरअसल,  ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम कर रहे एनजीओ समूह द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस संबंध में एक चिट्ठी लिखी गई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक रुढ़िवादिता पर अपने हैंडबुक से सेक्स वर्कर की जगह 'तस्करी की शिकार/सरवाइवर या व्यावसायिक यौन गतिविधि में लगी महिला या व्यावसायिक यौन शोषण के लिए मजबूर महिला' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने का फैसला किया। इस संबंध में चीफ जस्टिस का कहना है कि वेश्या या सेक्स वर्कर जैसे शब्द का उपयोग भी लैंगिक रुढ़िवादिता को बढ़ावा दे सकता है। 

"सेक्स वर्कर" शब्द के उपयोग पर पुनर्विचार का अनुरोध

मानव तस्करी विरोधी एनजीओ के बैनर तले एक ग्रुप ने अगस्त 2023 में अदालत द्वारा प्रकाशित "हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स" में इस्तेमाल शब्दावली में "सेक्स वर्कर" शब्द के उपयोग पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। जिन एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से यह अपील की थी उसमें गोवा की अन्यय रहित जिंदगी, मुंबई का प्रयास, महाराष्ट्र से प्रेरणा, कर्नाटक का KIDS, असम से नेदान, महाराष्ट्र से वीआईपीएलए,दिल्ली से SPID, मणिपुर के न्यू लाइफ फाउंडेशन सहित कई एनजीओ शामिल थे। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार, सीआरपी, अनुराग भास्कर ने एआरजेड एनजीओ को एक ईमेल में सूचित किया कि सीजेआई ने बदलाव को स्वीकार कर लिया है।

अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने लॉन्च की थी हैंडबुक

बता दें कि इसी साल अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए जानेवाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लाने के लिए एक हैंडबुक लॉन्च की थी। इसमें करीब 43 रूढ़िवादी शब्दों और वाक्यांशों को इस्तेमाल नहीं करने को लेकर निर्देश दिया था और उन शब्दों की जगह वैकल्पिक शब्दों और भाषा का सुझाव दिया था। इसमें वेश्या की जगह सेक्स वर्कर शब्द के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया था। इसी पर एनजीओ समहू ने अपनी आपत्ति जताई थी। 

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