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तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के खिलाफ थी सुप्रीम कोर्ट की समिति, जानिए क्या थी वजह

समिति के सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट के निष्कर्ष जारी किए। स्वतंत्र भारत पार्टी के अध्यक्ष घनवट ने कहा, ‘19 मार्च 2021 को हमने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। हमने शीर्ष अदालत को तीन बार पत्र लिखकर रिपोर्ट जारी करने का अनुरोध किया। लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला।’

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 21, 2022 16:31 IST
Supreme Court of India- India TV Hindi
Image Source : PTI Supreme Court of India

तीन कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने इन्हें किसानों के लिए फायदेमंद बताते हुए इसे निरस्त नहीं करने की सिफारिश की थी। पिछले साल नवंबर में संसद ने तीनों कानूनों को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत को 19 मार्च 2021 को सौंपी गई रिपोर्ट को सोमवार को सार्वजनिक किया गया। तीन सदस्यीय समिति ने राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को कानूनी रूप देने की स्वतंत्रता समेत कानूनों में कई बदलावों का भी सुझाव दिया था। 

समिति के सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट के निष्कर्ष जारी किए। स्वतंत्र भारत पार्टी के अध्यक्ष घनवट ने कहा, ‘19 मार्च 2021 को हमने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। हमने शीर्ष अदालत को तीन बार पत्र लिखकर रिपोर्ट जारी करने का अनुरोध किया। लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला।’ 

40 संगठनों ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद अपनी राय प्रस्तुत नहीं की

अनिल धनवट ने कहा, ‘मैं आज यह रिपोर्ट जारी कर रहा हूं। तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। इसलिए अब इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है।’ घनवट के अनुसार, रिपोर्ट से भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। घनवट ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘इन कानूनों को निरस्त करना या लंबे समय तक निलंबन उन खामोश बहुमत के खिलाफ अनुचित होगा जो कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं।’

उन्होंने कहा कि समिति के समक्ष 73 किसान संगठनों ने अपनी बात रखी जिनमें से 3.3 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 61 संगठनों ने कृषि कानूनों का समर्थन किया। घनवट ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले आंदोलन करने वाले 40 संगठनों ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद अपनी राय प्रस्तुत नहीं की। समिति के दो अन्य सदस्य कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी तथा कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के सुधारों के लाभों के बारे में विरोध करने वाले किसानों को नहीं समझा सकी। निरस्त किए गए तीन कृषि कानून - कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून और आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) कानून थे। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करने वाले 40 किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में से एक था। 

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