Thursday, November 21, 2024
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर आया सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलेगा या नहीं, इस बात को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 1967 के अजीज बाशा फैसले को पलट दिया है।

Reported By : Atul Bhatia, Gonika Arora Edited By : Subhash Kumar Updated on: November 08, 2024 14:34 IST
Big decision of Supreme Court in AMU case- India TV Hindi
Image Source : PTI AMU केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जा की बहाली की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने कहा है कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, 3 जजों की बेंच ये तय करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से साल 1967 का अजीज बाशा फैसला पलट दिया है। आपको बता दें कि इस फैसले में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक दर्जे का दावा नहीं कर सकता क्योंकि यह एक कानून द्वारा बनाया गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि AMU को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था, इस बात को साबित करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

मामले पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि संदर्भ के लिए प्रश्न था- किसी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान मानने के संकेत क्या हैं? क्या किसी संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान इसलिए माना जाएगा क्योंकि इसकी स्थापना धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के किसी व्यक्ति (व्यक्तियों) द्वारा की गई थी या इसका संचालन किसी धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति(व्यक्तियों) द्वारा किया जा रहा है?

अनुच्छेद 30 में मिले अधिकार संपूर्ण नहीं- CJI

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि धार्मिक समुदाय संस्थान बना सकते हैं लेकिन चला नहीं सकते। अनुच्छेद 30 में मिले अधिकार संपूर्ण नहीं है। धार्मिक समुदाय को संस्थान चलाने का असीमित अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 30 (1) को कमजोर नहीं कर सकते। अल्पसंख्यक संस्थाओं को भी रेगुलेट कर सकते हैं।

4:3 का फैसला

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैंने बहुमत के साथ फैसला लिखा है। तीन असहमतियाँ हैं। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस शर्मा ने अपनी-अपनी असहमतियाँ लिखी हैं। इसलिए यह 4:3 का फैसला है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि धार्मिक समुदाय संस्थान बना सकते हैं लेकिन चला नहीं सकते। अनुच्छेद 30 में मिले अधिकार संपूर्ण नहीं है।

किन जजों ने सुनया फैसला?

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की संविधानिक बेंच ने ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आगे चलकर यह तय होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान के रूप मे दर्जा दिया जाए या नहीं।

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