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सुप्रीम कोर्ट ने वन्नियार समुदाय के आरक्षण को रद्द करने के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा

हालांकि, शीर्ष अदालत ने माना कि राज्य सरकार के पास अधिनियम पारित करने की विधायी क्षमता थी। इस मामले में विस्तृत फैसला बाद में दिया जाएगा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 31, 2022 14:52 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE Supreme Court

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें वन्नियार समुदाय को सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में 10.5 फीसदी आरक्षण देने वाले कानून को रद्द कर दिया गया था। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा, "हमारी राय है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की तुलना में वन्नियार को एक अलग समूह के रूप में मानने का कोई आधार नहीं है।"

हालांकि, शीर्ष अदालत ने माना कि राज्य सरकार के पास अधिनियम पारित करने की विधायी क्षमता थी। इस मामले में विस्तृत फैसला बाद में दिया जाएगा।

मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली तमिलनाडु सरकार और अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट पिछले साल 16 दिसंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि तमिलनाडु में सबसे पिछड़ा वर्ग और विमुक्त समुदाय अधिनियम, 2021 के आरक्षण के तहत राज्य के तहत शैक्षणिक संस्थानों और सेवाओं में नियुक्तियों या पदों का विशेष आरक्षण संविधान के प्रावधानों के विपरीत है।

राज्य सरकार ने विभिन्न रिपोटरें और आंकड़ों का हवाला देते हुए संकेत दिया था कि वन्नियार सबसे पिछड़े वर्गों में से थे। उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार के पास कानून पारित करने की क्षमता का अभाव है क्योंकि इसे 105वें संविधान संशोधन से पहले लाया गया था। शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश की अपीलों को एक बड़ी पीठ के पास भेजने की मांग करने वाली एक याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया था।

इनपुट-आईएएनएस

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