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CAA के मुद्दे पर कल 232 याचिकाओं पर सुनवाई, सरकार को जवाब देने के लिए मिला था 4 हफ्ते का वक्त

सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में स्पष्ट किया था कि वह केंद्र की बात सुने बिना CAA के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाएगा। याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, आरजेडी नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: October 30, 2022 20:49 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

दीपावली और अन्य त्योहारों के अवसर पर नौ दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को खुल रहा सुप्रीम कोर्ट पहले ही दिन विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं सहित करीब 240 जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष केवल CAA के मुद्दे पर 31 अक्टूबर को 232 याचिकाएं सुनवाई के लिए लिस्टेड हैं, जिनमें ज्यादातर जनहित याचिकाएं हैं। 

याचिकाओं पर चीफ जस्टिस ने क्या कहा था?

इससे पहले न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाएगा। इस मुद्दे पर मुख्य याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने दायर की थी। शीर्ष अदालत ने जनवरी 2020 में स्पष्ट किया था कि वह केंद्र की बात सुने बिना CAA के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाएगी। CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए शीर्ष अदालत ने देश के उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। 

कानून के छात्रों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है

याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, आरजेडी नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं। मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, पीस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, गैर-सरकारी संगठन 'रिहाई मंच', अधिवक्ता एमएल शर्मा और कानून के छात्रों ने भी इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। 

एक अन्य जनहित याचिका पर भी सुनवाई करेगी पीठ 

सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ एक अन्य जनहित याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एक साल के भीतर धनशोधन और कर चोरी जैसे विभिन्न आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों का फैसला करने के लिए हर जिले में विशेष भ्रष्टाचार विरोधी अदालतें स्थापित करने की मांग की गई है। शीर्ष अदालत विधि आयोग को 'वैधानिक निकाय' घोषित करने और पैनल के अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करने का केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक जनहित याचिका पर भी विचार करेगी। उस जनहित याचिका पर भी 31 अक्टूबर को सुनवाई होनी है, जिसमें चुनाव आयोग को मतपत्रों और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से पार्टी के प्रतीकों को हटाने और उम्र, शैक्षणिक योग्यता और उम्मीदवारों की तस्वीर लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

 

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