नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज सुबह 10.30 बजे नागरिकता कानून की धारा 6 A की संवैधानिक वैधता पर फैसला सुनाएगी। सेक्शन-6 के मुताबिक जो बांग्लादेशी अप्रवासी 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आये हैं वो भारतीय नागरिक के तौर पर खुद को रजिस्टर करा सकते है। हालांकि 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीय नागरिकता के लायक नहीं हैं।
याचिकाओं में दी गई है ये दलील
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि 1966 के बाद से पूर्वी पाकिस्तान(अब बांग्लादेश) से अवैध शरणार्थियों के आने के चलते राज्य का जनसांख्यिकी संतुलन बिगड़ रहा है। राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन हो रहा है। सरकार ने नागरिकता कानून में 6A जोड़कर अवैध घुसपैठ को कानूनी मंजूरी दे दी है।
कोर्ट का फोकस और सरकार का रुख
संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि उसकी जांच पूरी तरह से धारा 6ए की वैधता पर केंद्रित होगी न कि असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर होगी। अदालत ने बांग्लादेश से अवैध इमिग्रेशन और बिना दस्तावेज वाले व्यक्तियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के सरकार के प्रयासों के बारे में विवरण मांगा था।
सरकारी हलफनामे में अधिकारियों ने अवैध विदेशी नागरिकों का पता लगाने, हिरासत में लेने और निर्वासित करने में शामिल जटिलताओं को स्वीकार किया। उन्होंने प्रभावी सीमा नियंत्रण में बाधा के रूप में पश्चिम बंगाल की नीतियों का भी हवाला दिया, जो भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने में बाधा बन रही है।
धारा 6ए के प्रावधान
धारा 6ए के तहत 1 जनवरी 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को पूर्ण नागरिकता अधिकार प्रदान किया जाता है, जबकि 1966 और 1971 के बीच आए लोगों को समान अधिकार प्राप्त हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई है कि अकेले असम को ही इस प्रावधान के अधीन क्यों किया गया है।