Monday, January 13, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. जिन्हें रिजर्वेशन का लाभ मिल चुका है उन्हें बाहर निकालना चाहिए: SC

जिन्हें रिजर्वेशन का लाभ मिल चुका है उन्हें बाहर निकालना चाहिए: SC

संविधान पीठ ने इस कानूनी सवाल की समीक्षा शुरू कर दी कि क्या राज्य सरकार को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में अप-वर्गीकरण करने का अधिकार है?

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Feb 07, 2024 10:31 IST, Updated : Feb 07, 2024 10:39 IST
सुप्रीम कोर्ट
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछड़ी जातियों में जो लोग आरक्षण के हकदार थे और इससे लाभान्वित भी हो चुके हैं, उन्हें अब आरक्षित श्रेणी से बाहर निकालना चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें अधिक पिछड़ों के लिए रास्ता बनाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को इस कानूनी सवाल की समीक्षा शुरू कर दी कि क्या राज्य सरकार को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में अप-वर्गीकरण करने का अधिकार है?

फैसले की वैधता की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट

सविधान पीठ ने सुनवाई से पहले दिन कहा कि वह 2004 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की वैधता की समीक्षा करेगा, जिसमें कहा गया था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आगे उप-वर्गीकृत करने का अधिकार नहीं है। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह की दलीलों का सारांश देते हुए कहा, "इन जातियों को बाहर क्यों नहीं निकालना चाहिए? आपके अनुसार एक विशेष वर्ग में कुछ उपजातियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। वे उस श्रेणी में आगे हैं। उन्हें उससे बाहर आकर जनरल से मुकाबला करना चाहिए। वहां क्यों करें? जो पिछड़े में अभी भी पिछड़े हैं, उन्हें आरक्षण मिलने दो। एक बार जब आप आरक्षण की अवधारणा को प्राप्त कर लेते हैं, तो आपको उस आरक्षण से बाहर निकल जाना चाहिए।"  महाधिवक्ता ने कहा, "यही मकसद है। यदि वह लक्ष्य प्राप्त हो जाता है, तो जिस उद्देश्य के लिए यह अभ्यास किया गया था वह समाप्त हो जाना चाहिए।"

संविधान पीठ अब इस सवाल की जांच कर रही

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सुनवाई के दौरान यह साफ कर दिया कि वह सिर्फ मात्रात्मक डेटा से संबंधित तर्कों में नहीं पड़ेगी, जिसके चलते पंजाब सरकार को कोर्ट के अंदर 50 फीसदी कोटा प्रदान करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट उन 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती दे दी गई है। इसमें पंजाब सरकार की मुख्य अपील भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान पीठ अब इस सवाल की जांच कर रही है कि क्या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की तरह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के अंदर उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जानी चाहिए और क्या राज्य विधानसभाएं इस अभ्यास को करने के लिए राज्यों को सशक्त बनाने वाले कानून पेश करने में सक्षम हैं। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement