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Supreme Court: गृह मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, ईसाइयों पर हो रहे हमलों को लेकर राज्यों से रिपोर्ट तलब करे

Supreme Court: देश में ईसाइयों पर कथित रूप से किए जा रहे हमलों के खिलाफ सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है कि इस मामले में वह राज्यों से रिपोर्ट तलब करे।

Edited By: Pankaj Yadav
Published on: September 01, 2022 22:18 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Supreme Court

Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने दिया गृह मंत्रालय को आदेश
  • ईसाइयों पर हो रहे हमले के खिलाफ याचिका पर चल रही थी सुनवाई
  • मामले पर गृह मंत्रालय को राज्यों से रिपोर्ट तलब करने को कहा

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई संस्थानों पर हो रहे हमलों के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ईसाइयों पर हो रहे हमले की ‘सच्चाई का पता लगाने’ के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी एक व्यक्ति पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, लेकिन यदि जनहित याचिका में किए गए दावों में से केवल 10 प्रतिशत भी सही है तो इसकी जांच करना जरूरी है। केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि ‘मनमर्जी’ रिपोर्ट के आधार पर आधारित जनहित याचिका की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर केंद्र सरकार ने असहमति जताई

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘‘यद्यपि किसी एक व्यक्ति पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, फिर भी हमें सच्चाई का पता लगाना जरूरी है। हमें जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से किए गए ऐसी किसी भी घटना के दावों को सत्यापित करने की जरूरत है।’’ अदालत के रुख से असहमति व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि जनहित याचिका में उल्लेखित मामलों में 162 मामले सत्यापन के बाद गलत पाए गए हैं। केंद्र की इस दलील पर पीठ ने कहा, ‘‘यह एक जनहित याचिका है और हम शुरू में यह मानकर चलते हैं कि जो दावा किया गया है, वह उचित होगा।’’ 

याचिकाकर्ता की दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि ईसाई समुदाय के सदस्यों पर हुए ज्यादातर हमलों में एक ही तरह की पद्धति अपनाई गई है और ये हमले पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से कराए जा रहे हैं। गोंजाल्विस ने दलील दी कि ज्यादातर मामलों में ईसाई पादरियों के खिलाफ पुलिस द्वारा मुकदमा चलाया जाता है, जबकि हमलावरों को आजाद घूमने की आजादी दी जाती है। अदालत का यह निर्देश ‘नेशनलिटी सॉलिडरिटी फोरम’ के डॉ. पीटर मशेदो और एवेनजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया के विजयेश लाल और अन्य की याचिका पर आया है। 

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