Highlights
- मुफ्तखोरी पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
- कहा, 'फ्रीबीज को अगर चुनाव आयोग नहीं रोक सकता तो उसे भगवान बचाए'
- केंद्र सरकार से मांगा जवाब
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्शन से पहले फ्रीबीज यानी मुफ्त में सामान बांटने या फिर उसका वादा करने वाले दलों पर रोक लगाने को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग पर तल्ख टिप्पणी की। सीजेआई एनवी रमण के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि अगर चुनाव आयोग मुफ्त में सामान बांटने वाले दलों का कुछ नहीं कर सकती तो फिर उसे भगवान ही बचाए। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस विषय पर उसके द्वारा उठाए जा रहे जरूरू कदमों पर जवाभ भी मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में वित्त आयोग से पूछा कि क्या राज्यों को आवंटित होने वाले राजस्व में गैर जरूरी खर्चों का भी ख्याल रखा जाता है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया इससे पहले भी कई गहरी बाते कर चुके हैं।
लोकतंत्र पर भी गहरी बात कह चुके हैं CJI रमण
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि दुनिया के सभी नागरिकों के लिए यह जरूरी है कि वे स्वाधीनता, स्वतंत्रता और लोकतंत्र को बरकरार रखने और आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत रहें, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया है। न्यायमूर्ति रमण ने अमेरिका के फिलाडेल्फिया में 'इंडिपेंडेंस हॉल' की यात्रा के बाद यह बात कही थी। उन्होंने ने कहा कि यह स्मारक मानव सभ्यता में एक निर्णायक क्षण को दर्शाता है और सभी लोकतंत्र उन मूल्यों से प्रेरित हैं, जो कि इस पवित्र स्थान से उत्पन्न हुए हैं। उन्होंने कहा, "यह मानव गरिमा और अस्तित्व की निश्चित गारंटी और वादों का प्रतिनिधित्व करता है। इस ऐतिहासिक हॉल में खड़े होकर, कोई भी उस साहस, भावना और आदर्शों से प्रेरित हो सकता है, जिसने अमेरिका के संस्थापकों को प्रेरित किया और जिनकी गूंज आज भी दुनिया भर में है।"
कभी सक्रीय राजनीति में जाना चाहते थे एनवी रमण
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण ने शनिवार को कहा कि वह तो वास्तव में सक्रिय राजनीति में जाना चाहते थे लेकिन विधि का विधान ऐसा था कि वह न्यायाधीश बन गए लेकिन इस बात का उन्हें मलाल नहीं है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत में वकालत के दौरान उनकी राजनीति में गहरी रुचि हो गई थी और वह सक्रिय राजनीति में जाना चाहते थे लेकिन विधि का विधान ऐसा बना कि अपने पिता की प्रेरणा से वह हैदराबाद में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में वकालत करने चले गए। हालांकि, न्यायमूर्ति रमण ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि वह अपनी इच्छा के विपरीत राजनीति में नहीं जा सके, फिर भी उन्हें इस बात का मलाल नहीं है। उन्होंने इस बात का संतोष जताया कि जिस क्षेत्र को उन्होंने अपनाया, वहां वह न्यायपालिका और देश तथा समाज के लिए कुछ कर पाए हैं।