नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण वापस लेने से जुड़े अदालत के विचाराधीन मामले पर राजनीतिक बयानबाजी पर गंभीर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने बयानों पर कहा कि, ‘कुछ पवित्रता बनाए रखने की आवश्यकता है।’ जस्टिस के. एम. जोसफ, जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एक बेंच ने कहा, ‘जब मामला अदालत में विचाराधीन है और कर्नाटक मुस्लिम आरक्षण पर अदालत का आदेश है तो इस मुद्दे पर कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। यह उचित नहीं है। कुछ पवित्रता बनाए रखने की जरूरत है।’
‘ऐसे बयान क्यों दिए जाने चाहिए?’
4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को रद्द करने को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, ‘कर्नाटक में हर दिन गृह मंत्री बयान दे रहे हैं कि उन्होंने 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण वापस ले लिया है। ऐसे बयान क्यों दिए जाने चाहिए?’ कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दवे के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें ऐसे किसी बयान की जानकारी नहीं है और अगर कोई कह रहा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए तो गलत क्या है, क्योंकि यह एक तथ्य है।
‘ये बयान हर दिन दिए जा रहे हैं’
जस्टिस जोसफ ने कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल का कोर्ट में बयान देना कोई समस्या नहीं है लेकिन विचाराधीन मामले पर अदालत के बाहर कुछ कहना उचित नहीं है। 1971 में, अदालत के आदेश के खिलाफ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने पर एक राजनीतिक नेता के खिलाफ अवमानना का मामला लाया गया था।’ दवे ने कहा कि ये बयान हर दिन दिए जा रहे हैं, जिसके जवाब में मेहता ने कहा कि अदालत को दवे को कोर्ट में इस तरह के बयान देने और उसके लिए अदालती कार्यवाही का इस्तेमाल करने से रोकने की जरूरत है।
‘हम इस मामले को स्थगित कर देंगे’
बेंच ने कहा, ‘हम इस अदालत को राजनीतिक मंच नहीं बनने देंगे। हम इसके पक्षकार नहीं हैं। हम मामले को स्थगित कर देंगे।’ शुरुआत में, मेहता व वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के सदस्यों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हें सुनवाई से कुछ राहत की जरूरत है क्योंकि संविधान पीठ का मामला समलैंगिक विवाह पर चल रहा है जिसमें वे बहस कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
कर्नाटक सरकार ने कही थी ये बात
दवे ने कहा कि अगले आदेश तक ऐसा ही होना चाहिए। इसके बाद बेंच ने निर्देश दिया कि पिछली सुनवाई में पारित अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेंगे और मामले को जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। बता दें कि कर्नाटक सरकार ने 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने केवल धर्म के आधार पर आरक्षण को जारी नहीं रखने का ‘सचेत निर्णय’ लिया है क्योंकि यह असंवैधानिक है और इसलिए, उसने मुस्लिम समुदाय के लिये 4 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को समाप्त कर दिया है।