विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई हुई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए UGC से शिकायतों का डाटा मांगा है। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत मामले काफी गंभीर हैं। इसके अलवा सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों के लिए जातिगत मुद्दों पर बने नियमों को लागू करने का भी आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि वो मामले की संवेदनशीलता से अच्छी तरह से परिचित है। ऐसे में इस तरह की शिकायतों को काफी गंभीरता से निदान करने की जरूरत है और वह ऐसा ही करेगी।
जातिगत भेदभाव को लेकर 20 सालों में सिर्फ IITs में हुईं 115 आत्महत्याएं
जातिगत भेदभाव वाली याचिका पर मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच कर रही थी। कोर्ट को बताया गया कि 2004-24 के बीच सिर्फ IIT में 115 आत्महत्याएं हुई हैं। जिस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत इस मामले की संवेदनशीलता से परिचित है और 2012 के नियमों को वास्तविकता में बदलने के लिए एक तंत्र खोजने हेतु समय-समय पर इसकी सुनवाई शुरू करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने UGC से मांगा शिकायतों का डाटा
बेंच ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को निर्देश दिया कि वह समान अवसर प्रकोष्ठों की स्थापना के संबंध में विश्वविद्यालयों (केन्द्रीय/राज्य/निजी/मान्य) से आंकड़े एकत्र कर प्रस्तुत करे तथा यूजीसी (उच्च शिक्षण संस्थानों में समानता को बढ़ावा) नियम, 2012 के तहत प्राप्त शिकायतों की कुल संख्या के साथ-साथ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करे।
रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां ने दायर की थी याचिका
दरअसल रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां की ओर से यह याचिका दायर की गई है। इन दोनों की आत्महत्या के पीछे शैक्षणिक संस्थानो में जातिगत भेदभाव को जिम्मेदार बताया गया था। याचिका में शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए सशक्त और कारगर मैकेनिज़्म बनाये जाने की मांग की गई है। SC इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और यूजीसी को नोटिस भी जारी कर चुका है।
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