सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी बुधवार को NCDRC के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में 'गलत' हेयरकट देने और खराब हेयर ट्रीटमेंट के लिए एक मॉडल को दो करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने एनसीडीआरसी के फैसले के खिलाफ आईटीसी की याचिका पर मॉडल आशना रॉय को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी को ब्याज सहित 25 लाख रुपये मिल चुके हैं। ऐसी परिस्थितियों में फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आदेश होगा। पीठ ने कहा कि मुआवजे की मात्रा का निर्धारण केवल पूछने भर से नहीं हो सकता, बल्कि यह भौतिक साक्ष्य पर होना चाहिए। आईटीसी ने एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने मुआवजे के रूप में दो करोड़ रुपये का भुगतान करने के सितंबर 2021 के निर्देश की पुष्टि की थी।
"दो करोड़ रुपये की राशि बहुत ज्यादा"
एनसीडीआरसी ने इस साल अप्रैल में रॉय द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावित मॉडलिंग और अभिनय अनुबंधों के ई-मेल और आवेदनों पर भरोसा करने के बाद अपने पहले के आदेश की फिर से पुष्टि की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में गलत हेयरकट और खराब हेयरट्रीटमेंट के लिए महिला को दो करोड़ रुपये का मुआवजा देने के एनसीडीआरसी के आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि दो करोड़ रुपये की राशि बहुत ज्यादा व अनुचित होगी और मुआवजे की मात्रा भौतिक साक्ष्य पर आधारित होनी चाहिए न कि केवल पूछने पर।
रॉय एक इंटरव्यू से पहले हेयर स्टाइलिंग के लिए अप्रैल 2018 में नई दिल्ली स्थित होटल आईटीसी मौर्य के सैलून गई थीं। उन्होंने हेयर ड्रेसर को बाल काटने के संबंध में विशेष निर्देश दिए थे। रॉय ने कहा कि गलत हेयरकट के परिणामस्वरूप उनकी खूबसूरती चली गई और वह अपना सामान्य व्यस्त जीवन नहीं जी पा रही थीं। उन्हें काफी अपमान और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। मॉडलिंग की दुनिया में उनका करियर पूरी तरह से बिखर गया और वह डिप्रेशन में चली गईं।
बाद में होटल ने मुफ्त हेयर ट्रीटमेंट का ऑफर दिया
बाद में होटल ने उन्हें मुफ्त हेयर ट्रीटमेंट का ऑफर दिया। मई 2018 में रॉय इसी मकसद से सैलून गई थीं। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि ट्रीटमेंट के दौरान अमोनिया ज्यादा इस्तेमाल करने से उसके बाल और खोपड़ी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे और बहुत जलन हो रही थी। उन्होंने सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए एनसीडीआरसी के समक्ष शिकायत दर्ज की, जिसमें प्रबंधन से लिखित माफी मांगने के साथ-साथ उत्पीड़न, अपमान, मानसिक आघात, करियर का नुकसान, आय का नुकसान और भविष्य की संभावनाओं के नुकसान के लिए तीन करोड़ रुपये का मुआवजा भी मांगा। एनसीडीआरसी ने सितंबर 2021 में उन्हें दो करोड़ रुपये का मुआवजा दिया। आईटीसी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया।