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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं, कोई दावा नहीं कर सकता

Supreme Court: न्यायालय ने कहा कि कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है।

Edited By: Malaika Imam
Published on: September 13, 2022 19:39 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Supreme Court

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के मुद्दे से संबंधित एक याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि चुनाव लड़ने का अधिकार न तो मौलिक और न ही 'कॉमन लॉ' अधिकार है। 'कॉमन लॉ' अधिकार व्यक्तिगत अधिकार हैं, जो न्यायाधीश की ओर से बनाए गए कानून से आते हैं, न कि औपचारिक रूप से विधायिका की ओर से पारित कानून होते हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। 

दिल्ली HC के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई

न्यायालय ने कहा कि कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है। उसने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 (चुनाव आचरण नियम, 1961 के साथ पढ़ें) में कहा गया है कि नामांकन प्रपत्र भरते समय उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव किया जाना है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के 10 जून के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी तय करने से जुड़ी याचिका हुई खारिज 

दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव, 2022 के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी तय करने से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि 21 जून 2022 से एक अगस्त 2022 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले राज्यसभा सदस्यों की सीट को भरने के लिए चुनाव की खातिर 12 मई, 2022 को अधिसूचना जारी की गई थी। नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 31 मई थी।

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Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE
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प्रस्तावक के बिना उम्मीदवारी स्वीकार नहीं की गई- याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने नामांकन पत्र लिया था, लेकिन उनके नाम का प्रस्ताव करने वाले उचित प्रस्तावक के बिना नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी गई। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रस्तावक के बिना उनकी उम्मीदवारी स्वीकार नहीं की गई, जिससे उनके भाषण और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ था। 

सुप्रीम कोर्ट ने एक लाख का जुर्माना लगाते हुए याचिका किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चार सप्ताह के अंदर सुप्रीम कोर्ट कानूनी सहायता समिति को जुर्माने का भुगतान किया जाए।

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