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सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना पीड़ित के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा बहाल किया, HC के आदेश को बताया ‘अजीब’

सुप्रीम कोर्ट का फैसला पीड़ित के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर अपील पर आया, जिन्होंने अगस्त, 2023 में पारित हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट ने मामले को नजरअंदाज कर दिया और एक संक्षिप्त आदेश द्वारा एमएसीटी द्वारा पारित फैसले को पलट दिया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 19, 2024 9:07 IST, Updated : Dec 19, 2024 9:08 IST
supreme court
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसे में मृत व्यक्ति के परिजनों को 50 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा दिए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और पीड़ित के परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया। जस्टिस बी आर गवई एवं के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का आदेश ‘अजीब’ था। सतना जिले में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने पीड़ित की पत्नी और बेटे के दावे को स्वीकार कर लिया था। अधिकरण ने पीड़ित के परिवार को 50,41,289 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने मामले को नजरअंदाज कर दिया- सुप्रीम कोर्ट

बेंच ने कहा, ‘‘हमें आश्चर्य है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 173 के तहत दायर पहली अपील में, हाई कोर्ट ने मामले को नजरअंदाज कर दिया और एक संक्षिप्त आदेश द्वारा एमएसीटी द्वारा पारित फैसले को पलट दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिनियम की धारा 173 के तहत अपील, पहली अपील की प्रकृति की थी और (हाई कोर्ट द्वारा) ‘कम से कम’ यह अपेक्षित था कि एमएसीटी के समक्ष रखे गए ‘मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण’ किया जाए।

शीर्ष अदालत का फैसला पीड़ित के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर अपील पर आया, जिन्होंने अगस्त, 2023 में पारित हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। बेंच ने कहा कि उसने मामले को हाई कोर्ट द्वारा नए सिरे से विचार के लिए वापस भेजने पर विचार किया।

क्या था पूरा मामला?

अदालत ने कहा कि चूंकि घटना वर्ष 2018 की है और पहले ही छह साल बीत चुके हैं, इसलिए हमें लगा कि आगे की कोई भी देरी पहले से ही तबाह परिवार की पीड़ा को और बढ़ा देगी। बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस आधार पर निर्णय को रद्द कर दिया कि दावेदारों ने यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं पेश किया कि दुर्घटना मामले में शामिल ट्रक से हुई थी। यह रिकॉर्ड में आया कि पीड़ित मैहर तहसील में सहायक पोस्ट मास्टर के रूप में काम कर रहा था और 18 जून, 2018 को घर वापस लौटते समय वह गाड़ी चला रहा था, जब एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसकी कार को टक्कर मार दी। दावेदारों ने कहा कि उसे रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसी दिन उसकी मौत हो गई।

एमएसीटी द्वारा पीड़ित के परिवार के सदस्यों को मुआवजा दिए जाने के बाद, बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि हाई कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य है।’’ एमएसीटी के इस निष्कर्ष को कोर्ट ने बहाल रखा कि मौत लापरवाही से चलाए जा रहे ट्रक के कारण हुई थी।

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