सुप्रीम कोर्ट में आज शुक्रवार फिल्म 'द केरला स्टोरी' के मेकर्स की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में फिल्म पर बैन लगाने के पीछे के तर्क को जानना चाहा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि जब पूरे देश में फिल्म दिखाई जा रही है, तो बंगाल में क्यों नहीं? बंगाल बाकी राज्यों से अलग तो नहीं है और इस बैन का फिल्म की सिनेमैटिक वैल्यू से कोई लेना-देना नहीं है। ये अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी। फिल्म को बैन करने का क्या मतलब है?
बंगाल-तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी
शीर्ष कोर्ट ने बंगाल सरकार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। फिल्म 5 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में फिल्म पर रोक लगा दी थी। वहीं, तमिलनाडु में भी सिनेमाघरों में 'द केरला स्टोरी' को नहीं दिखाया जा रहा है। मेकर्स की तरफ से हरीश साल्वे कोर्ट में पेश हुए। साल्वे ने कहा कि बंगाल में बैन के ऑर्डर को रद्द किया जाए। तमिलनाडु में थिएटर्स के मालिकों को धमकियां मिल रही हैं, इसलिए वो फिल्म नहीं दिखा रहे हैं।
"CBFC के सर्टिफिकेट के बाद रिलीज हुई फिल्म"
हरीश साल्वे ने कहा, ''5 मई को फिल्म केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के सर्टिफिकेट के बाद रिलीज हुई। पश्चिम बंगाल ने फिल्म पर रोक लगा दी। तमिलनाडु में भी फिल्म नहीं दिखाने दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट पहले कई मामलों में राज्य सरकार की तरफ से लगाई गई रोक को रद्द कर चुका है और राज्य सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कह चुका है।'' इस परCJI ने कहा, ''हम नोटिस जारी कर देते हैं। जल्द सुनवाई करेंगे।''
''याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने के लिए कहा जाना चाहिए"
पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में दलील दी, ''याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने के लिए कहा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में नहीं आ सकते। राज्य सरकार को फिल्म से कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका वाली कई रिपोर्ट्स मिली थीं। हमें कई इंटेलिजेंस इनपुट मिले हैं।'' सिंघवी ने कहा, ''जब बाकी देश मे फिल्म चल रही है, तो आप ऐसा कैसे कह सकते हैं।'' इस पर CJI ने फिर कहा, ''हम नोटिस जारी कर रहे हैं। बुधवार को सुनवाई करेंगे।'' वहीं, तमिलनाडु सरकार के वकील ने कहा, ''हमने कोई रोक नहीं लगाई है।" इस पर CJI ने कहा, ''तो आप लिखित में दीजिए कि थिएटर को सुरक्षा उपलब्ध करवाएंगे।''