नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को सोमवार 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव और उनसे जुड़े आय से अधिक संपत्ति मामले में आगे सुनवाई से मना कर दिया। याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डी वाई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 2013 में सीबीआई ने प्राथमिक जांच के बाद मामला बंद कर दिया था। चूंकि मुलायम सिंह यादव का भी निधन हो चुका है। इसलिए अब सुनवाई की ज़रूरत नहीं है।
2019 में दाखिल की गई थी याचिका
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि CBI पहले ही 7 अगस्त 2013 को मामले की जांच बंद कर चुकी है। लिहाजा मामले में कुछ मेरिट नहीं बची है। इसलिए क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि यह याचिका 2019 में दाखिल की गई थी और इसमें मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और और उनके भाई प्रतीक यादव समेत कई लोगों का नाम शामिल किया गया था। अब कोर्ट के द्वारा इस फैसले के बाद यादव परिवार के लिए यह फैसला बड़ी ही राहत भरी खबर लेकर आया है।
क्या है यादव परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला?
साल 2005 में विश्वनाथ चतुर्वेदी नाम के वकील ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहु डिंपल यादव और दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से करोड़ों अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी। 1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया। अक्टूबर 2007 में सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने डिंपल को जांच के दायरे से बाहर कर दिया। मुलायम, अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ जांच चलती रही।
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