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CAA पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, सरकार से मांगा जवाब, तीन हफ्ते का दिया वक्त

सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता कानून पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। वहीं केंद्र सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: March 19, 2024 18:48 IST
supreme court- India TV Hindi
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)के क्रियान्वयन पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। इस कानून को लेकर पिछले सप्ताह सरकार ने अधिसूचना जारी की थी।

सुप्रीम कोर्ट में 237 याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट में सीएए से जुड़ी करीब  237 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। अदालत ने फिलहाल इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को तीन हफ्ते 8 अप्रैल तक का वक्त दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 9 अप्रैल को होगी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा था लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें केवल तीन हफ्ते का वक्त दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा,'यह (सीएए) किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता।' 

केंद्र को समय दिए जाने का विरोध 

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र को समय दिए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि 2019 में नागरिकता विधेयक को संसद द्वारा मंजूरी दी गई थी। अब इसके चार साल हो गए। नोटिफिकेशन अभी जारी किया गया है। अगर एक बार लोगों को इस कानून के आधार पर नागरिकता मिल गई तो उसे वापस करना मुश्किल होगा। सिब्बल ने केंद्र द्वारा जारी नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अन्य वकील इंदिरा जय सिंह ने भी सीएए पर रोक लगाने और इस मामले को बड़ी बेंच में भेजने की मांग की थी। 

असम के मामलों की सुनवाई अलग से होगी

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पहले से जारी आदेश के मुताबिक असम के मामलों की सुनवाई अलग से की जाएगी। इस बीच याचिकाकर्ताओं के एक वकील ने कहा कि 6बी(4) कहता है कि सीएए असम के कुछ आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा। मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम पूरी तरह बाहर हैं। वहीं चीफ जस्टिस ने कहा कि पूरा राज्य बाहर नहीं है, बल्कि वो हिस्से जो 6वीं अनुसूची में शामिल हैं, सिर्फ वही इससे बाहर हैं। 

संसद द्वारा विवादास्पद कानून पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र सरकार ने 11 मार्च को संबंधित नियमों की अधिसूचना के साथ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। इस कानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को तेजी से भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। 

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