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Supreme Court: शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से किया इनकार

Supreme Court: शैक्षणिक संस्थानों में एक जैसी पोषाक पहनने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका की वकालत कर रहे अधिवक्ता ने अनुरोध किया कि उनकी जनहित याचिका की सुनवाई जल्द से जल्द की जाए।

Written By: Pankaj Yadav
Published : Jul 14, 2022 16:33 IST, Updated : Jul 14, 2022 16:33 IST
Supreme Court
Image Source : ANI Supreme Court

Highlights

  • यूनिफॉर्म को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार किया
  • एक जैसी पोषाक समानता, भाईचारा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी
  • कोर्ट की टिप्पणी- इस मामले पर समय आने पर सुनवाई करेंगे, अभी इंतजार करिए

Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को पंजीकृत शैक्षणिक संस्थानों में कर्मियों और छात्रों के लिए एक जैसी पोशाक पहनने के नियम लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर तत्काल सुनवाई से गुरुवार को इनकार कर दिया। याचिका में कहा गया है कि एक जैसी पोशाक समानता सुनिश्चित करने और भाईचारा तथा राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है। चीफ जस्टिस एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अनुरोध किया कि उनकी जनहित याचिका को भी सुनवाई के लिए उसी तरह से सूचीबद्ध किया जाए जैसे कि हिजाब विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध दायर अपीलों को सूचीबद्ध किया गया था। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं। 

याचिका की सुनवाई समय आने पर करेंगे, अभी इंतजार करिए -सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की दलीलों पर संज्ञान लिया। बुधवार को, शीर्ष न्यायालय कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया। सुनवाई की शुरुआत में उपाध्याय ने कहा कि यह विषय एक जैसी पोशाक पहनने के नियम से जुड़ा हुआ है। पीठ ने कहा कि हमने आपको कई बार बताया है। मुझे दोबारा कहने के लिए मजबूर मत कीजिए। हर दिन आप एक जनहित याचिका दायर करते हैं। आपने कितने विषय दायर किये हैं? जैसे कि कोई नियमित मुकदमा ही नहीं हो। मैं नहीं जानता, हर विषय में आप आते हैं और उल्लेख करते हैं। यह समय आने पर करेंगे। इंतजार करिए। 

अश्विनी उपाध्याय की दलील

इस पर उपाध्याय ने कहा, ‘‘माननीय न्यायाधीश कल हिजाब मामले पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गए। मैंने यह जनहित याचिका फरवरी में दायर की थी।’’ इससे पहले फरवरी में निखिल उपाध्याय नाम के व्यक्ति ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और अश्वनी दुबे के द्वारा उच्चतम न्यायालय में पीआईएल दायर कर हिजाब विवाद के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों में एक जैसी पोशाक पहनने के नियम को लागू करने का अनुरोध किया था। जनहित याचिका में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा विधि आयोग को भी पक्षकार बनाया गया और प्रतिवादियों को ‘‘सभी पंजीकृत तथा मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में एक जैसी पोशाक पहनने का नियम सख्ती से लागू करने’’ का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, ताकि सामाजिक समानता सुनिश्चित की जा सके और भाईचारा एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सके।

शैक्षणिक संस्थानों में समानता को बरकरार रखने के लिए एक जैसी पोषाक जरूरी

याचिका में कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक के खिलाफ 10 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी में हुए कुछ प्रदर्शनों का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘शैक्षणिक संस्थानों की धर्मनिरपेक्ष छवि को संरक्षित रखने के लिए सभी स्कूल-कॉलेज में एक समान पोशाक पहनने का नियम बनाना आवश्यक है, अन्यथा कल नगा साधु कॉलेज में दाखिला ले लेंगे और आवश्यक धार्मिक आचरण का हवाला देते हुए कक्षाओं में बगैर कपड़े पहने शामिल होंगे।’’

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