नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के सेवा अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा है। मामले पर आगे कोर्ट ने कहा वह दिल्ली सरकार की याचिका को संविधान पीठ के पास भेजने का अपना आदेश आज बाद में अपलोड करेगी। जानकारी दे दें कि आज से संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और केंद्र सरकार इसी सत्र में इस अध्यादेश को पास कराकर कानून बनाने की कोशिश करने वाली है। वहीं केजरीवाल सरकार इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष का समर्थन जुटाने में लगी हुई है। अभी इस मुद्दे पर कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियां दिल्ली सरकार के समर्थन की अपनी बात भी कह चुकी हैं।
दिल्ली अध्यादेश क्या है
दिल्ली अध्यादेश 2023 के तहत दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार LG के पास है। इस अध्यादेश के तहत केंद्र सरकार ने नई दिल्ली सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन किया है। इस अथॉरिटी में दिल्ली के सीएम की अध्यक्षता में मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव को सदस्य बनाया गया है। यही अथॉरिटी ही दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का फैसला करेगी। हालांकि इस अथॉरिटी में मतभेद होने पर अंतिम फैसले का अधिकार LG को दिया गया है।
मोदी और केजरीवाल सरकार के बीच जारी मनमुटाव
दिल्ली में प्रशासन को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच मनमुटाव देखने को मिल रहा है। इसके चलते यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, जहां 11 मई को दिए अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार चुनी हुई सरकार को दिया था। वहीं दिल्ली पुलिस, जमीन और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े अधिकार केंद्र को दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मोदी सरकार 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई, जिसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 का नाम दिया गया है।