नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच अपने पहले के आदेश का पालन न करने पर बुधवार को हरियाणा और पंजाब सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसके आदेश का पालन नहीं किया गया तो हरियाणा के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि राज्य पराली जलाने वाले लोगों पर मुकदमा चलाने और नाममात्र जुर्माना लगाकर लोगों को छोड़ने से क्यों कतरा रहा हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा को दिया एक सप्ताह का समय
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हम आपको बहुत साफ-साफ बता रहे हैं। हम आपको एक सप्ताह का समय दे रहे हैं और अगर इसका पालन नहीं किया गया तो हम मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करेंगे। आप लोगों पर मुकदमा चलाने से क्यों कतराते हैं? इस पर हरियाणा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने इस साल करीब 17 एफआईआर दर्ज की है।
हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को पेशी पर बुलाया गया
कोर्ट ने कहा कि आयोग का कोई भी सदस्य वायु प्रदूषण के मामलों से निपटने के लिए योग्य नहीं हैं। हमारे आदेश का पालन नहीं किया गया। कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अभी तक एक भी मुकदमा नहीं चलाया गया। सब कुछ सिर्फ़ कागज़ों पर है। पराली जलाने पर रोक लगाने मे असफल रहने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को बुधवार को अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि आप सिर्फ़ नाममात्र का जुर्माना ले रहे हैं। इसरो आपको बता रहा है कि आग कहां लगी थी और आप कहते हैं कि आपको कुछ नहीं मिला। उल्लंघन के 191 मामले आए और आपने सिर्फ़ नाममात्र का जुर्माना लिया। एनसीटी क्षेत्र अधिनियम के तहत आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों की पूरी तरह से अवहेलना की गई।
हरियाणा ने मानी अपनी गलती
हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि मैं अपनी ओर से हुई चूक या गलती को स्वीकार करता हूं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। अगर मुख्य सचिव किसी के इशारे पर काम कर रहे हैं तो हम उनके खिलाफ भी समन जारी करेंगे। हमारे आदेश पर कुछ नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को भी लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पंजाब सरकार ने भी पराली जलाने पर रोक के आदेश पर कुछ नहीं किया। पिछले तीन सालों से पंजाब ने एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया। केवल नाममात्र का जुर्माना लगा रहे हैं। कुछ नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि धान की पराली जलाई जा रही है और आप वायु प्रदूषण निवारण अधिनियम 1981 के तहत कुछ नहीं करना चाहते। हवा लगातार प्रदूषित हो रही है।
कोर्ट ने पूछे ये सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि क्या आपके इस आचरण को जायज ठहराया जा सकता है? पिछली बार आपने कहा था कि केंद्र सरकार आपकी सुनवाई नहीं कर रही है? आज हम देखते हैं कि ट्रैक्टर और डीजल के लिए एक भी प्रस्ताव आपने नहीं दिया है? सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के वकील से कहा कि क्या आपने कहीं भी अपनी जरूरतों का केन्द्र से उल्लेख किया है? केंद्र कैसे समझेगा? यह आपके मुख्य सचिव द्वारा सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। पूरी तरह से हमारे आदेश की अवहेलना की गई है। आप गलत बयान का बचाव कर रहे हैं।
पंजाब सरकार ने दिया ये जवाब
पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि जमीनी स्तर पर कोर्ट के निर्देशों का पालन करना व्यावहारिक रूप से बहुत मुश्किल है। पिछली बार हमारे अधिकारियों के साथ लोगों ने बुरा व्यवहार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि आपका मतलब है कि लोगों को वायु प्रदूषण से पीड़ित होने दें, क्योंकि राज्य इसका पालन करने में सक्षम नहीं है।
पंजाब के मुख्य सचिव तलब
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर रोक लगाने में असफल रहने पर पंजाब सरकार के चीफ सेक्रेटरी को भी अगले बुधवार 23 अक्टूबर को सुनवाई में अदालत में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आदेश दिया है।
हरियाणा और पंजाब के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को आदेश दिया कि हरियाणा और पंजाब के जिन अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया उनके खिलाफ कारवाई करें। बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में हर साल सांस लेने लायक हवा नहीं मिलती। पंजाब और हरियाणा में पराली धड़ल्ले से जलाई जाती है।