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Exclusive: ‘सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी…’, Nupur Sharma Case पर Justice SN Dhingra ने दिया बड़ा बयान

इंडिया टीवी के एक सवाल पर जस्टिस ढींगरा ने कहा, मेरे हिसाब से यह टिप्पणी अपने आप में बहुत गैर-जिम्मेदाराना है।

Written By: Vineet Kumar @JournoVineet
Published : Jul 02, 2022 18:40 IST, Updated : Jul 02, 2022 18:40 IST
Supreme Court, Nupur Sharma Case, Justice SN Dhingra, Justice SN Dhingra Interview
Image Source : PTI FILE Nupur Sharma 'single-handedly responsible for what's happening' in country, says SC.

Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट को इस तरह की टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है: जस्टिस ढींगरा
  • जस्टिस ढींगरा ने कहा कि इससे नूपुर के खिलाफ सभी अदालतें पूर्वाग्रहित हो सकती हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की याचिका नामंजूर करते हुए बेहद कड़ी टिप्पणी की थी।

Nupur Sharma Case: दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एस. एन. ढींगरा ने नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वेशन को ‘गैरजिम्मेदाराना’, ‘गैरकानूनी’ और ‘अनुचित’ बताया है। India TV को दिए एक इंटरव्यू में जस्टिस ढींगरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसी टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से नूपुर शर्मा को बिना सुने उनके ऊपर चार्ज भी लगा दिया और फैसला भी दे दिया। जस्टिस ढींकरा ने कहा कि किसी भी दृष्टिकोण से सुप्रीम कोर्ट को ऐसी टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।

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‘सुप्रीम कोर्ट को कोई अधिकार नहीं है कि...’

इंडिया टीवी के एक सवाल पर जस्टिस ढींगरा ने कहा, 'मेरे हिसाब से यह टिप्पणी अपने आप में बहुत गैर-जिम्मेदाराना है। सुप्रीम कोर्ट को कोई अधिकार नहीं है कि वह इस प्रकार की कोई टिप्पणी करे जिससे जो व्यक्ति उससे न्याय मांगने आया है उसका पूरा करियर चौपट हो जाए या उसके खिलाफ सभी अदालतें पूर्वाग्रहित हो जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकार से नूपुर शर्मा को बिना सुने उनके ऊपर चार्ज भी लगा दिया और फैसला भी दे दिया। न तो गवाही हुई, न जांच हुई और न ही उन्हें कोई मौका दिया कि वह अपनी सफाई पेश कर सकें।'

‘सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर नहीं है’
यह पूछे जाने पर कि सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वेशन पर सवाल उठ रहे हैं, जस्टिस ढींगरा ने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर नहीं है। कानून यह कहता है कि यदि किसी शख्स को आप दोषी ठहराना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले उसके ऊपर चार्ज फ्रेम करना होगा, इसके बाद प्रॉसिक्यूशन अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेगी, इसके बाद उसे मौका मिलेगा कि वह उन साक्ष्यों के ऊपर अपना बयान दे। उसके बाद उसे अपने गवाह पेश करने का मौका मिलता है। उसके बाद अदालत का कर्तव्य है कि वह सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखकर अपना फैसला दे।'

सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को लगाई थी कड़ी फटकार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी को लेकर उन्हें शुक्रवार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी ‘बेलगाम जुबान’ ने पूरे देश को आग में झोंक दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए शर्मा अकेले जिम्मेदार हैं।’ कोर्ट ने शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने संबंधी उनकी अर्जी स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि नूपुर ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए या किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत या किसी घृणित गतिविधि के तहत की। 

India TV के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जानें जस्टिस ढींगरा ने नुपूर शर्मा केस में सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वेशन पर और क्या कहा:

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