Friday, November 22, 2024
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आनंद मोहन की बढ़ेगी टेंशन? SC ने बिहार सरकार को भेजा नोटिस, कहा- रिहाई का रिकॉर्ड करें पेश

उमा कृष्णैया ने अपनी याचिका में बिहार सरकार का आदेश रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मौत की सजा को जब उम्र कैद में बदला जाता है, तब दोषी को आजीवन जेल में रखा जाना चाहिए।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: May 08, 2023 18:29 IST
आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई का मामला फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है। आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दिवंगत IAS अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए बिहार सरकार से रिहाई की प्रक्रिया का रिकॉर्ड पेश करने को कहा है। मामले पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच सुनवाई कर रही है। 

याचिका पर 2 हफ्ते में होगी अगली सुनवाई

शीर्ष कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है। साथ ही 2 हफ्ते में अगली सुनवाई की बात कही। उमा कृष्णैया ने अपनी याचिका में बिहार सरकार का आदेश रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मौत की सजा को जब उम्र कैद में बदला जाता है, तब दोषी को आजीवन जेल में रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे फैसला दे चुका है, लेकिन इस मामले में दोषी को रिहा कर दिया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि 10 अप्रैल को सिर्फ राजनीतिक वजहों से बिहार सरकार ने जेल नियमावली के नियम 481(1)(a) को बदल दिया। 

सरकारी कर्मचारी की हत्या जघन्य अपराध

याचिका में बताया गया है कि 2012 में बिहार सरकार की तरफ से बनाई गई जेल नियमावली में सरकारी कर्मचारी की हत्या को जघन्य अपराध कहा गया था। इस अपराध में उम्र कैद पाने वालों को 20 साल से पहले किसी तरह की छूट नहीं देने का प्रावधान था, लेकिन पिछले महीने राज्य सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव कर सरकारी कर्मचारी की हत्या को सामान्य हत्या की श्रेणी में रख दिया गया।

आनंद समेत 26 कैदियों को किया गया था रिहा

गौरतलब है कि बिहार सरकार ने कानून और नियमों में बदलाव कर आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा कर दिया था। इसके बाद से यह सवाल उठाया जाने लगा कि क्या वर्तमान में कानून के अंदर लाया गया बदलाव सालों पहले सुनाई गई सजा पर लागू होगा? गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में मुजफ्फरपुर के खोबरा में हत्या हो गई थी। 2007 में निचली अदालत ने इस मामले में आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में पटना हाई कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था, लेकिन 27 अप्रैल को उन्हें 14 साल जेल में बिताने के आधार पर रिहा कर दिया गया।

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