Friday, November 22, 2024
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2016 में हुई नोटबंदी को लेकर आज फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट, न्यायालय ने RBI को नोटिस देकर मांगे थे रिकॉर्ड

सुप्रीम कोर्ट में साल 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सोमवार को अपना फैसला सुनाए जाने की संभावना है। न्यायमूर्ति एस.ए.नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ दो जनवरी को इस मामले पर अपना फैसला सुना सकती है।

Edited By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: January 02, 2023 0:02 IST
 नोटबंदी को लेकर कल सोमवार को फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE नोटबंदी को लेकर कल सोमवार को फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट

8 नवंबर 2016 की शाम को कौन भूल सकता है। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसमें 500 और 1000 रुपए के नोटों को रात 12 बजे के बाद बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही 500 और 2000 के नए नोटों को चलन में लाया गया था। पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद पूरे देश में उथल-पुथल मच गई थी। 8 नवंबर 2016 के बाद लोग कई दिनों तक सुबह से रात तक एटीएम औए बैंकों की लाइन में लगे रहे थे। यह सिलसिला कई दिनों तक चला था। पूरा देश लाइनों में था। नोटबंदी से क्या फायदा और क्या नुकसान हुआ था, यह एक अलग विषय है। इस पर किसी और दिन चर्चा की जा सकती है। लेकिन इसे लेकर सोमवार 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सुना सकता है।   

7 दिसंबर को कोर्ट ने RBI को दिया था निर्देश 

उच्चतम न्यायालय की सोमवार की वाद सूची के अनुसार, इस मामले में दो अलग-अलग फैसले होंगे, जो न्यायमूर्ति बी.आर.गवई और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना द्वारा सुनाए जाएंगे। न्यायमूर्ति नजीर, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा, पांच न्यायाधीशों की पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन हैं। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। 

नोटबंदी गंभीर रूप से दोषपूर्ण फैसला था - पी चिदंबरम 

पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदम्बरम तथा श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था। एक हजार और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को ‘गंभीर रूप से दोषपूर्ण’ बताते हुए चिदंबरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। 

वर्ष 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सर्वोच्च न्यायालय के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब ‘बीते वक्त में लौट कर’ कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।

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