Highlights
- सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई
- पेगासस और बिलकिस बानो मामले पर सुनवाई
- पीएम की सुरक्षा में चूक पर सुनवाई
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में आज कई अहम मामलों पर सुनवाई का दिन है। आज सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका, पेगासस और बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई पर सुनवाई होनी है। साथ ही पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले पर भी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है।
चीफ जस्टिस की बेंच करेगी सुनवाई
सीतलवाड की याचिका चीफ जस्टिस यू यू ललित के नेतृत्व वाली बेंच सुनवाई करेगी। गुजरात हाईकोर्ट ने गत 3 अगस्त को सीतलवाड की जमानत याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और 19 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय की थी। इससे पहले अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई को मामले में सीतलवाड और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
सीतलवाड पर निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप
सीतलवाड और पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर बी श्रीकुमार को जून में गिरफ्तार किया गया था, उन पर गोधरा दंगा मामलों में ‘‘निर्दोष व्यक्तियों’’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप है। वे साबरमती केंद्रीय जेल में बंद हैं। श्रीकुमार ने भी जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मामले के तीसरे आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है। भट्ट पहले से ही एक अन्य आपराधिक मामले में जेल में थे जब उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया था।
पेगासस मामले में टेक्निकल कमेटी सौंपेगी रिपोर्ट
पेगासस मामले में भी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच कर रही टेक्निकल कमेटी को मई में 4 सप्ताह का समय दिया था। इसकी मियाद पूरी हो गई है। अब कमेटी को यह बताया है कि क्या लोगों के फोन या अन्य डिवाइस में जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर डाला गया था या नहीं। पिछले साल देश के राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी किए जाने को लेकर यह मामला सुर्खियों में रहा था।
बिल्कीस बानो मामले की भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
बिल्कीस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत इस साल 15 अगस्त को गोधरा उप-कारावास से 11 दोषियों की रिहाई हो गई थी। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस पर हमले और 59 यात्रियों, मुख्य रूप से ‘कार सेवकों’ को जलाकर मारे जाने के बाद गुजरात में भड़की हिंसा के दौरान तीन मार्च, 2002 को दाहोद में भीड़ ने 14 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में बिल्कीस बानो की तीन साल की बेटी सालेहा भी शामिल थी। घटना के समय बिल्कीस बानो गर्भवती थी और वह सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम कैद की सजा सुनाई गई थी। मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 आरोपियों को बिल्कीस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बाद में इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।