Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. गोधरा कांड के दोषी को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, लोग जलती ट्रेन से उतर न सकें इसलिए फेंफे थे पत्थर

गोधरा कांड के दोषी को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, लोग जलती ट्रेन से उतर न सकें इसलिए फेंफे थे पत्थर

गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि दोषी पत्थर फेंक रहा था, इसने लोगों को जलते हुए कोच से बाहर निकलने से रोका। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में पत्थर फेंकना कम गंभीर अपराध हो सकता है, लेकिन इस मामले में यह अलग था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: December 15, 2022 15:47 IST
Godhra Sabarmati Train Massacre- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO गोधरा ट्रेन अग्निकांड

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2002 में गोधरा में ट्रेन कोच को जलाने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि वह पिछले 17 सालों से जेल में है। इसी घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि दोषी 17 साल से जेल में है और उसकी भूमिका ट्रेन पर पत्थर फेंकने की थी। पीठ ने कहा कि आरोपी फारूक द्वारा दायर की गई जमानत की अर्जी मंजूर की जाती है और यह नोट किया जाता है कि वह 2004 से हिरासत में है, और आरोप साबित होने के खिलाफ उसकी अपील भी शीर्ष अदालत में लंबित है। इसमें कहा गया है कि आवेदक को सत्र अदालत द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के अधीन जमानत दी जाती है।

'दोषी पत्थर फेंक रहा था, लोगों को जलते हुए कोच से बाहर निकलने से रोका'

राज्य सरकार के मुताबिक, आरोपियों ने भीड़ को उकसाया और कोच पर पथराव किया, यात्रियों को घायल किया और कोच को क्षतिग्रस्त कर दिया। गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि दोषी पत्थर फेंक रहा था, इसने लोगों को जलते हुए कोच से बाहर निकलने से रोका। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में पत्थर फेंकना कम गंभीर अपराध हो सकता है, लेकिन इस मामले में यह अलग था।

59 यात्रियों की हुई थी मौत, फैले थे सांप्रदायिक दंगे
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, दमकल कर्मियों पर भी पत्थर फेंके गए थे। 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी, जिससे 59 यात्रियों की मौत हो गई थी और राज्यभर में सांप्रदायिक दंगे फैल गए थे।

11 को मौत और 20 को मिली थी उम्रकैद की सजा  
शीर्ष अदालत ने मेहता की सभी अपीलों को सूचीबद्ध करने के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया, जिसमें सजा बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा दायर अपील भी शामिल है। मार्च 2011 में, ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 11 को मौत की सजा और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। कुल 63 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था। अक्टूबर 2017 में, गुजरात हाईकोर्ट ने सभी की सजा को बरकरार रखा, लेकिन 11 की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement