Saturday, December 21, 2024
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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, कही ये बड़ी बात

जम्मू-कश्मीर से साल 2019 में धारा-370 हटा दी गई थी। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई थीं, जिनपर कई दिनों तक सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

Reported By : Gonika Arora Written By : Sudhanshu Gaur Published : Dec 11, 2023 11:10 IST, Updated : Dec 11, 2023 12:22 IST
सुप्रीम कोर्ट
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने लगातार कई दिनों तक सुनवाई की थी। अब कोर्ट ने इसे लेकर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाते हुए कहा कि धारा-370 हटाया जाना कोई गलत फैसला नहीं है। केंद्र सरकार ऐसा कर सकती है। इसके साथ कोर्ट ने 5 अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। 

पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला  

 

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने तीन फैसले सुनाए, लेकिन सभी एक ही तरह के फैसले हैं। फैसला सुनाते वक्त CJI ने कहा कि पांच जजों की बेंच ने तीन तरह के फैसले लिए लेकिन अंतिम निष्कर्ष सभी का एक ही है। इस मामले की सुनने वाले बेंच में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत थे और आज यही बेंच अपना फैसला सुना रही है। 

अस्थाई थी धारा 370- CJI 

फैसला सुनाते वक्त CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रावधान था। इसलिए केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के समय जब जम्मू-कश्मीर भारत में विलय हुआ था उसी समय उसने अपनी संप्रभुता छोड़ दी थी। इसलिए जम्मू-कश्मीर का संविधान भारतीय संविधान के अंदर ही आएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार यहां राज्य देश के ऊपर नहीं हो सकते हैं। इसके साथ ही CJI ने कहा कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है। 

राष्ट्रपति शासन पर बोले चीफ जस्टिस 

वहीं जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति के शासन पर टिप्पणी करते हुए CJI ने कहा कि कोर्ट को इस पर फैसला देने की जरूरत नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती नहीं दी है। और किसी भी स्थिति में इसे अक्टूबर 2019 में वापस ले लिया गया। सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से संघ द्वारा लिए गए हर फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती। इससे राज्य का प्रशासन ठप हो जाएगा। 

 

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