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सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को लेकर नियम बनाने की याचिका खारिज की, कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र में लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को लेकर नियम बनाने का आग्रह करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है और उसे मूर्खतापूर्ण विचार करार दिया है। कोर्ट ने ये भी कहा कि अब समय आ गया है कि कोर्ट इस प्रकार की जनहित याचिकाएं दायर करने वालों पर जुर्माना लगाना शुरू करे।

Edited By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: March 20, 2023 17:23 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र में लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को लेकर नियम बनाने का आग्रह करने वाली जनहित याचिका को मूर्खतापूर्ण विचार करार दिया है और इस याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता ममता रानी के वकील से पूछा कि क्या वह इन लोगों की सुरक्षा बढ़ाना चाहती हैं या वह चाहती हैं कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में न रहें। इसके जवाब में वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता लिव इन में रहने वाले लोगों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए इन संबंधों का रजिस्ट्रेशन चाहती है। 

पीठ ने कहा, लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन का केंद्र से क्या लेना देना है? यह कैसा मूर्खतापूर्ण विचार है? अब समय आ गया है कि कोर्ट इस प्रकार की जनहित याचिकाएं दायर करने वालों पर जुर्माना लगाना शुरू करे। इसे खारिज किया जाता है।

क्या है पूरा मामला

रानी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र को लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने का निर्देश देने का आग्रह किया था। याचिका में ऐसे संबंधों में बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में वृद्धि का उल्लेख किया गया था। याचिका में श्रद्धा वाल्कर की कथित तौर पर उसके लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला द्वारा हत्या किए जाने का हवाला देते हुए इस तरह के रिश्तों के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम और दिशानिर्देश बनाने का आग्रह किया गया था। 

जनहित याचिका में कहा गया था कि लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन से ऐसे संबंधों में रहने वालों को एक-दूसरे के बारे में और सरकार को भी उनकी वैवाहिक स्थिति, उनके आपराधिक इतिहास और अन्य प्रासंगिक विवरणों के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध होगी। 

वकील ममता रानी द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में वृद्धि के अलावा, महिलाओं द्वारा दायर किए जा रहे बलात्कार के झूठे मामलों में भारी वृद्धि हुई है, जिनमें महिलाएं आरोपी के साथ लिव-इन संबंध में रहने का दावा करती हैं और ऐसे में अदालतों के लिए सच्चाई का पता लगाना मुश्किल होता है। (इनपुट:भाषा)

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