Friday, November 22, 2024
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इलेक्टोरल बॉण्ड स्कीम की नहीं होगी SIT जांच, सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए खारिज कीं सभी याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट में गैर सरकारी संगठनों ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ एवं अन्य ने चुनावी बॉण्ड योजना की अदालत की निगरानी में जांच के लिए याचिका दायर की थी।

Reported By : Atul Bhatia Edited By : Vineet Kumar Singh Updated on: August 02, 2024 15:56 IST
Supreme Court News, Supreme Court SIT Investigation- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉण्ड से जुड़ा अहम फैसला दिया है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉण्ड योजना की अदालत की निगरानी में जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला की बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस चरण में हस्तक्षेप करना अनुचित और समय पूर्व कार्रवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस धारणा पर इलेक्टोरल बॉण्ड की खरीद की जांच का आदेश नहीं दे सकती कि यह अनुबंध देने के लिए एक तरह का लेन-देन था। बता दें कि चुनावी बॉण्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में रद्द कर दिया था।

अदालत ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कही ये बात

बेंच ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘अदालत ने चुनावी बॉण्ड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार किया क्योंकि इसमें न्यायिक समीक्षा का पहलू था। लेकिन आपराधिक गड़बड़ियों से जुड़े मामलों को अनुच्छेद 32 के तहत नहीं लाया जाना चाहिए, जब कानून के तहत उपाय उपलब्ध हैं।’ सुप्रीम कोर्ट गैर सरकारी संगठनों ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (CPIL) तथा अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। दोनों गैर सरकारी संगठनों की जनहित याचिका में इस योजना की आड़ में राजनीतिक दलों, कॉरपोरेशन और जांच एजेंसियों के बीच स्पष्ट मिलीभगत का आरोप लगाया गया।

15 फरवरी को रद्द कर दी गई थी चुनावी बॉण्ड योजना

बता दें कि दोनों गैर सरकारी संगठनों की जनहित याचिका में राजनीतिक दलों और कंपनियों के बीच ‘स्पष्ट लेन-देन’ का आरोप लगाया गया था। चुनावी बॉण्ड योजना को एक ‘घोटाला’ करार देते हुए याचिका में ‘मुखौटा कंपनियों और घाटे में चल रही उन कंपनियों’ की फंडिंग के स्रोत की जांच का अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, जिन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया। पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को ‘चुनावी बॉण्ड योजना’ को रद्द कर दिया था। भारतीय स्टेट बैंक ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद निर्वाचन आयोग के साथ आंकड़े साझा किए थे, जिन्हें आयोग ने बाद में सार्वजनिक किया था। 

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