Thursday, November 14, 2024
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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मनमानी पर रोक लगाई, कहा- अवैध कार्रवाई करने पर अधिकारी होंगे दंडित

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई शख्स आरोपी है तो केवल इस आधार पर उसका घर गिराना कानून का उल्लंघन है।

Reported By : Atul Bhatia Written By : Rituraj Tripathi Updated on: November 13, 2024 12:07 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। 2 जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मनमानी कार्रवाई पर रोक लगाई है और कहा है कि मनमाने ढंग से घर गिराना कानून का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों में कानून का राज होना चाहिए। किसी की संपत्ति मनमाने ढंग से नहीं ले सकते। अगर कोई दोषी भी है तो भी कानूनन ही घर गिरा सकते हैं। आरोपी और दोषी होना घर तोड़ने का आधार नहीं है। 

मनमानी कार्रवाई करने पर नपेंगे अधिकारी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनमाने ढंग से संपत्ति पर बुलडोजर चलवाने पर अधिकारी जवाबदेह होंगे। अगर किसी अधिकारी ने मनमानी अवैध कार्रवाई की तो उसे दंडित किया जाएगा। अपराध की सजा देना कोर्ट का काम है। अभियुक्तों और दोषियों के पास भी कुछ अधिकार हैं। सिर्फ आरोपी होने पर घर गिराना कानून का उल्लंघन है।

SC ने मुआवजा देने की बात कही

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी शख्स का मनमाने ढंग से मकान गिराया तो मुआवजा मिलना चाहिए। कानूनी प्रक्रिया के बिना बुलडोजर चलाना असंवैधानिक है। किसी एक की गलती की सजा पूरे परिवार को नहीं दे सकते। आरोपी एक है तो पूरे परिवार से घर क्यों छीना जाए?

नोटिस, 15 दिन का समय और आरोपी का पक्ष सुनने की भी बात

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर एक्शन से पहले आरोपी का पक्ष सुना जाए। नियमों के मुताबिक नोटिस जारी हो। रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा जाए और मकान पर चिपकाया जाए। कार्रवाई से पहले 15 दिन का वक्त मिले। नोटिस की जानकारी जिलाधिकारी को भी दी जाए। आरोपी को अवैध निर्माण हटाने का मौका मिले।

कब लागू नहीं होंगे निर्देश?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सार्वजनिक भूमि पर कब्जा है तो निर्देश लागू नहीं होंगे।  तोड़फोड़ की कार्रवाई की वीडियोग्राफी होगी। लोगों को खुद अवैध निर्माण हटाने का मौका मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ध्वस्तीकरण का आदेश डिजिटल पोर्टल पर डाला जाए। इस आदेश के खिलाफ अपील का समय मिले। बिना कारण बताओ नोटिस के बुलडोजर ना चले।

सुप्रीम कोर्ट ने  अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी किए 

  1. यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए।
  2. बिना अपील के रातभर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद दृश्य नहीं है।
  3. बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण नहीं।
  4. मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा।
  5. नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद का होगा।
  6. तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी।
  7. कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे।
  8. नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध होगा।
  9. प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई करेगा और सारे मिनट को रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा/  इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अवैध निर्माण समझौता योग्य है, और यदि केवल एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस का उद्देश्य क्या है।
  10. आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।
  11. आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस स्टेप वाइज होंगे।
  12. विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी। वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए।
  13. सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
  14. इस मामले का सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।

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