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सेना में महिला अधिकारियों के साथ भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, जानें क्या कहा?

Supreme Court on Army: सेना में कार्यरत महिलाओं के प्रमोशन से लेकर अन्य गतिविधियों में भेदभाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेना पर बड़ी टिप्पणी की है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सेना से कहा कि वह अपना ‘‘घर ’’ दुरुस्त करे। कोर्ट ने कहा कि उसे लगता है कि यह (सेना) उन महिला अधिकारियों के लिए ‘‘निष्पक्ष’’ नहीं रही है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: December 09, 2022 22:55 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : PTI/ REPRESENTATIONAL (FILE). सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court on Army: सेना में कार्यरत महिलाओं के प्रमोशन से लेकर अन्य गतिविधियों में भेदभाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेना पर बड़ी टिप्पणी की है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सेना से कहा कि वह अपना ‘‘घर ’’ दुरुस्त करे। कोर्ट ने कहा कि उसे लगता है कि यह (सेना) उन महिला अधिकारियों के लिए ‘‘निष्पक्ष’’ नहीं रही है, जिन्होंने 2020 में शीर्ष अदालत के निर्देश पर स्थायी कमीशन दिए जाने के बाद पदोन्नति में देरी का आरोप लगाया है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ 34 महिला सैन्य अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया है कि सेना में ‘‘लड़ाकू और कमांडिंग भूमिकाएं’’ निभाने के वास्ते पदोन्नति के लिए जूनियर पुरुष अधिकारियों पर विचार किया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आप (सेना) इन महिला अधिकारियों के प्रति निष्पक्ष नहीं रहे हैं। हम मंगलवार को एक स्पष्ट आदेश पारित करने जा रहे हैं। बेहतर होगा कि आप अपने ‘‘घर को दुरुस्त’’ करें और हमें बताएं कि आप उनके लिए क्या कर रहे हैं।

महिलाओं को पदोन्नति न देने पर कोर्ट खफा

पीठ ने कहा, ‘‘सबसे पहले, उन पुरुष अधिकारियों के परिणामों की घोषणा न करें जिन पर अक्टूबर में (पदोन्नति के लिए) विचार किया गया था, जब तक कि आप उनके (महिलाओं के) परिणामों की घोषणा नहीं करते।’’ पीठ ने केंद्र और सशस्त्र बलों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यन से पूछा कि उन्होंने अक्टूबर में पदोन्नति के लिए इन महिला अधिकारियों पर विचार क्यों नहीं किया। पीठ ने आदेश पारित करने के लिए याचिका को मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया। जब केंद्र के विधि अधिकारियों ने कहा कि वे महिला अधिकारियों के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमारा मतलब जैन (एएसजी) और कर्नल बाला (वरिष्ठ वकील) से है। मैं आपके संगठन के बारे में निश्चित नहीं हूं।’’ एएसजी ने कहा कि सैन्य प्रतिष्ठान भी महिला अधिकारियों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है।

सरकार ने कहा कि महिलाओं के लिए 150 सीट स्वीकृत
विधि अधिकारी ने बताया कि सेना ने महिला सैन्य अधिकारियों की प्रोन्नति के लिए 150 सीट स्वीकृत की हैं। महिला अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी मोहना ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के फैसले के बाद से 1,200 कनिष्ठ पुरुष अधिकारियों को पदोन्नत किया गया है। उन्होंने पीठ को बताया, ‘‘पिछली सुनवाई के बाद भी, नौ पुरुष अधिकारियों को उच्च रैंक पर रखा गया था। वरिष्ठ महिला अधिकारियों को पदोन्नत करने से पहले कोई पदोन्नति नहीं होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता है कि नेक इरादे वाले वकील इस मामले में पेश हो रहे हैं और मैं वकीलों के खिलाफ नहीं हूं और मैं ये शिकायतें प्रशासन के खिलाफ कर रही हूं।

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