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Subodh Jaiswal Appointment: मुंबई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने CBI निदेशक की नियुक्ति पर सुनवाई से खुद को अलग किया

Subodh Jaiswal Appointment: मुंबई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली पीठ ने CBI निदेशक सुबोध जायसवाल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

Edited By: Pankaj Yadav
Published on: July 28, 2022 18:32 IST
Mumbai High Court- India TV Hindi
Image Source : ANI Mumbai High Court

Highlights

  • सुबोध जायसवाल की सीबीआई निदेशक के रूप में की गई नियुक्ति को चुनौती दी गई है
  • याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से मामले की सुनवाई से अलग नहीं होने का अनुरोध किया

Subodh Jaiswal Appointment: मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली मुंबई हाईकोर्ट की एक पीठ ने गुरुवार को बतौर सीबीआई निदेशक सुबोध जायसवाल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। न्यायमूर्ति दत्ता के खिलाफ की गई शिकायत के बाद पीठ ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। महाराष्ट्र के पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त राजेंद्र त्रिवेदी द्वारा दायर जनहित याचिका में जायसवाल की मई 2021 में सीबीआई निदेशक के रूप में की गई नियुक्ति को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि इस साल 22 मार्च को त्रिवेदी ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ ‘‘शिकायत’’ की है। महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक रहे जायसवाल को पिछले साल मई में सीबीआई का निदेशक नियुक्त किया गया था। 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से की गई थी मेरी शिकायत

त्रिवेदी ने वकील एस.बी.तालेकर के जरिए पिछले साल 11 नवंबर को याचिका दायर कर जायसवाल की नियुक्ति को चुनौती दी थी। केंद्र सरकार ने बुधवार को मुंबई हाईकोर्ट से कहा कि वरिष्ठ IPS अधिकारी सुबोध जायसवाल की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के निदेशक के रूप में नियुक्ति कानून में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की गई है और उनके पास पर्याप्त अनुभव है। गुरुवार को, अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू और एएसजी अनिल सिंह केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए। उन्होंने मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

इस पर मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा कि यह उचित नहीं होगा कि वह इस मामले की सुनवाई करें। उन्होंने कहा कि तालेकर, आप शायद यह नहीं जानते होंगे, लेकिन आपके मुवक्किल (याचिकाकर्ता) ने भारत के प्रधान न्यायाधीश को मेरे खिलाफ शिकायत करते हुए एक पत्र लिखा था। तालेकर ने कहा कि उन्हें पत्र के बारे में जानकारी नहीं है और उनके मुवक्किल दावा कर रहे हैं कि उन्होंने ऐसा पत्र नहीं लिखा। तालेकर ने पीठ से मामले की सुनवाई से अलग नहीं होने का अनुरोध किया। हालांकि, न्यायमूर्ति दत्ता ने इससे इंकार कर दिया।

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