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आजादी से पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने बना दी थी भारत की सरकार, कई देशों ने मान्यता भी दी, पढ़ें किस्सा

23 जनवरी की तारीख को देश स्वतंत्रता वीर सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मना रहा है। साल 2021 से उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: January 23, 2024 10:53 IST
सुभाष चंद्र बोस जयंती। - India TV Hindi
Image Source : ANI सुभाष चंद्र बोस जयंती।

भारत की आजादी में अनेक लोगों ने अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाईं लेकिन जो भूमिका सुभाष चंद्र बोस की थी उसे शायद ही कोई टक्कर दे पाया। आज भारत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती पर उन्हें नमन कर रहा है। बता दें कि साल 2021 में केंद्र सरकार ने बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। क्या आप जानते हैं कि 1947 में भारत की आजादी से पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने भारत की सरकार का गठन कर दिया था? आइए जानते हैं ये पूरा किस्सा।

आजाद हिंद सरकार का किस्सा

भारत को अंग्रेजों से आजादी साल 1947 में मिली थी। हालांकि, इससे 4 साल पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने भारत की पहली सरकार का गठन कर दिया था। बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजादी से पहले ही सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी। इस कदम से उन्होंने अंग्रेजों को सख्त संदेश दिया था कि अब भारत में अंग्रेजी शासन ज्यादा दिन नहीं रहने वाला। 

कई बड़े देशों से मिली थी मान्यता
4 जुलाई 1943 को सिंगापुर के कैथे भवन में हुए समारोह में रासबिहारी बोस सुभाष को आजाद हिंद फौज की कमान सौंपी थी। इसके बाद  21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना हो गई थी। इस सरकार को जापान फिलिपिंस, जर्मनी जैसे करीब 9 देशों से मान्यता भी मिली थी। जानकारी के मुताबिक, सुभाष चंद्र बोस इस सरकार में प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री थे। उन्होंने वित्त विभाग एस.सी चटर्जी को, प्रचार विभाग एस.ए. अय्यर को और महिला संगठन कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपा था। इस अस्थायी सरकार ने कई देशों में दूतावास भी खोले थे।

अपना बैंक, डाक टिकट
सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज और अस्थायी सरकार के लिए बैंक था, मुद्रा थी और डाक टिकट भी बनवाया था। पीएम मोदी ने भी कुछ दिनों पहले बोस द्वारा राष्ट्रीय आजाद बैंक, आजाद हिन्द रेडियो और रानी झांसी रेजीमेंट के निर्माण को महत्वपूर्ण बताया था। बता दें कि बोस ने आजाद हिंद फौज में उस दौर में महिला यूनिट बनाई जब 
महिलाओं का घर से निकलना भी मुश्किल था। महिला यूनिट की सिपाहियों को मेडिकल और जासूसी में महारत हासिल थी।

कितनी थी आजाद हिंद फौज की ताकत?
आजाद हिंद फौज का गठन पहली बार राजा महेंद्र प्रताप सिंह, रास बिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल ने 29 अक्तूबर 1915 को किया था। इसके आगे चलकर सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया गया। विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब उनके पास 85 हजार सशस्त्र सैनिक थे। 30 दिसंबर 1943 को अंग्रेजो को हराकर अंडमान-निकोबार में पहली बार तिरंगा फहराया था। ये काम भी सुभाष चंद्र बोस ने ही किया था। 

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