नई दिल्ली: दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जन्मोत्सव के दौरान शोभा यात्रा निकालते वक्त दो समुदाय के बीच में पथराव की घटना सामने आई है। इस घटना में पुलिसकर्मी सहित कई लोग घायल हुए हैं जिन्हें बाबू जगजीवन राम अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। वहीं, आपको बता दें कि दो साल पहले भी दिल्लीवासियों ने दंगों का गहरा दंश झेला है। फरवरी, 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के समर्थकों एवं विरोधियों के बीच हिंसा के बाद सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था जिसमें कम से कम 53 लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।
हालात इस कदर बिगड़ चुके थे कि कुछ भयभीत लोगों ने हमेशा के लिए अपना आशियाना छोड़ दिया। बाकी पीड़ितों ने जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए फिर से शुरुआत की लेकिन दो साल बाद भी वह भयावह मंजर भूल नहीं पाए, जो उन्होंने 23 फरवरी 2020 से 26 फरवरी 2020 के दौरान देखा। यहां अब भी उस दरिंदगी के निशान आसानी से दिख जाते हैं।
इस मामले में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच का कहना था कि दंगों के पीछे एक गहरी साज़िश थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का कहना था कि जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी), पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई), पिंजरा तोड़, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट से जुड़े लोगों ने साज़िश के तहत दिल्ली में दंगे कराए।
24 फरवरी को दिल्ली के चांदबाग इलाके में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या कर दी थी। पुलिस के मुताबिक, उस वक्त 20 गुनहगार भी चांदबाग में इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा थे। चांदबाग में हुई हिंसा में ही IPS अधिकारी और शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा पर भी जानलेवा हमला किया गया था। इसी इलाके में हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के ACP अनुज कुमार पर भी जानलेवा हमला हुआ था।
हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों से संबंधित व्यापक षड्यंत्र के एक मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है। बता दें, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 3 मार्च को खालिद और अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान आरोपी ने अदालत से कहा था कि अभियोजन पक्ष के पास उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सबूतों का अभाव है।
खालिद और कई अन्य लोगों के खिलाफ फरवरी 2020 के दंगों के सिलसिले में आतंकवाद विरोधी कानून 'यूएपीए' के तहत मामला दर्ज किया गया है। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे। फरवरी 2020 में CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। खालिद के अलावा, कार्यकर्ता खालिद सैफी, जेएनयू छात्रा नताशा नरवाल व देवांगना कालिता, जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर, आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य लोगों के खिलाफ भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।