Tuesday, December 10, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Sonia Gandhi Birthday: 78 साल की हुईं सोनिया गांधी, राहुल की वो जिद जिसके चलते ठुकराई प्रधानमंत्री की कुर्सी

Sonia Gandhi Birthday: 78 साल की हुईं सोनिया गांधी, राहुल की वो जिद जिसके चलते ठुकराई प्रधानमंत्री की कुर्सी

चुनावी राजनीति में सक्रिय किसी भी बड़े नेता के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी सपना होती है लेकिन सोनिया गांधी इसके लिए क्यों नहीं तैयार हुईं? सोनिया के राजनीतिक सफर के जिक्र के वक्त ये सवाल उठना लाजिमी है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद क्यों ठुकराया था?

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 09, 2024 10:31 IST, Updated : Dec 09, 2024 10:49 IST
sonia gandhi rahul gandhi- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सोनिया गांधी और राहुल गांधी

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का आज जन्मदिन है। 09 दिसंबर को वह 78 साल की हो गई हैं और अब राज्यसभा की सदस्य हैं। सोनिया गांधी के नेतृत्व में दो बार यूपीए को सरकार बनाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से मना कर दिया। सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली के वेनेटो क्षेत्र के लुसियाना नामक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता स्टेफिनो मायानो ने उनका नाम एंटोनिया एडविस अल्बिना मायानो रखा। किसी ने नहीं सोचा था कि यह बच्ची आगे चलकर भारतीय राजनीति का एक बड़ा चेहरा बनेगी और भारत की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस) की अध्यक्ष बनेंगी।

जब पहली बार सोनिया ने राजीव को देखा

सोनिया 07 जनवरी 1965 को कैंब्रिज पहुंचीं। यहां काफी विदेशी युवा पढ़ाई के लिए आते हैं। उन्हें इसी कैंपस में एक ग्रीक रेस्तरां मिला, जो इतालवी खाना भी खिलाता था उसका नाम था वर्सिटी। ये यूनिवर्सिटी के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय था। सोनिया ने नियमित तौर पर यहीं खाना शुरू कर दिया। राजीव गांधी भी अक्सर दोस्तों के साथ यहां आया करते थे। यहीं सोनिया ने राजीव को देखा. वो शांत, सुंदर और बेहद विनम्र थे। एक दिन जब सोनिया वहां लंच कर रही थीं तब राजीव उनके कॉमन मित्र क्रिस्टियन वॉन स्टीगलिज के साथ आए। तभी उनका आपस में परिचय हुआ।

ऐसे शुरू हुई सियासी पारी

1968 में सोनिया से शादी के बाद राजीव उन्हें भारत ले आए। राजीव ने राजनीति से दूरी बनाकर एक एयरलाइन पायलट के रूप में अपना करियर चुना था। 1980 में संजय गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने। सोनिया गांधी ने इस दौरान राजनीति से दूरी बनाए रखी और कला संरक्षण के क्षेत्र में काम किया लेकिन 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस का नेतृत्व संभालने का प्रस्ताव मिला, जिसे उन्होंने शुरुआत में ठुकरा दिया।

1998 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता और यूपीए गठबंधन का गठन किया। हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने के बजाय मनमोहन सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी। 2004 में यकीनन देश की सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी पर सोनिया की ताजपोशी का रास्ता साफ था। 2009 में एक बार फिर उनके लिए ऐसा ही मौका था। उन्होंने दोनों ही मौकों पर इसे ठुकराया और खुद की जगह डॉक्टर मनमोहन सिंह को नामित किया। सोनिया के इस फैसले ने सभी को चकित कर दिया था। दस साल तक डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे लेकिन सत्ता की डोर गांधी परिवार के हाथों में रहने के संदेश ने उनकी स्थिति दयनीय बनाए रखी।

सोनिया प्रधानमंत्री बनने से क्यों किया इनकार?

सोनिया के राजनीतिक सफ़र के जिक्र के वक्त ये सवाल उठना लाजिमी है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद क्यों ठुकराया था? वे देश की सबसे पुरानी पार्टी की कमान संभाले हुए थीं। चुनावी राजनीति में सक्रिय किसी भी बड़े नेता के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी सपना होती है लेकिन सोनिया ये जिम्मेदारी संभालने के लिए क्यों नहीं तैयार हुईं?

17 मई 2004, तनावभरे उस 20 मिनट की कहानी

उस दौर में उनके भरोसेमंद और इस महत्वपूर्ण घटनाचक्र के चश्मदीद पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी आत्मकथा में जो लिखा, उसकी पुष्टि तब सोनिया का समर्थन कर रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं सोमनाथ चटर्जी ने भी की है। नटवर सिंह ने अपनी आत्मकथा One Life Is Not Enough में इस प्रसंग का जिक्र करते हुए लिखा कि 17 मई 2004 दोपहर के लगभग दो बजे वे 10 जनपथ पहुंचे। परिवार से उनकी निकटता थी। उन्हें भीतर भेज दिया गया। कमरे में सोफे पर बैठी सोनिया बेचैन दिख रही थीं। मनमोहन सिंह और प्रियंका भी वहां मौजूद थे। सुमन दुबे भी वहां पहुंचे तभी राहुल वहां आए। सोनिया की ओर मुखातिब होते हुए राहुल ने कहा, “आपको प्रधानमंत्री नहीं बनना है। मेरे पिता की हत्या कर दी गई। दादी की हत्या कर दी गई। छह महीने में आपको भी मार देंगे।”

राहुल ने किसी भी हद तक जाने की धमकी दी

नटवर के अनुसार राहुल ने अपनी बात न मानने पर किसी भी हद तक जाने की धमकी दी और मां को अपने फैसले के लिए 24 घंटे का वक्त दिया। राहुल के यह कहने पर कि वे उन्हें प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने से रोकने के लिए हर मुमकिन कदम उठाएंगे, परेशान सोनिया की आंखों में आसूं थे। तनाव भरे ये 15-20 मिनट बहुत मुश्किल समय के थे। मनमोहन सिंह बिल्कुल चुप थे। प्रियंका ने कहा था कि राहुल खिलाफ हैं और वे कुछ भी कर सकते हैं।”

डरे हुए थे प्रियंका-राहुल

राहुल की जिद ने सोनिया को प्रधानमंत्री की कुर्सी ठुकराने के लिए मजबूर कर दिया था। नीरजा चौधरी ने अपनी किताब How Prime Ministers Decide में लिखा है कि इस घटनाक्रम के कुछ ही दिन बाद नटवर सिंह के अलावा विश्वनाथ प्रताप सिंह जो उस समय सोनिया के पक्ष में सक्रिय थे, ने भी उन्हें बताया था कि सोनिया के बच्चे नहीं चाहते कि वे प्रधानमंत्री पद स्वीकार करें,क्योंकि उनकी जिंदगी खतरे में पड़ने की आशंका में वे डरे हुए हैं।

यह भी पढ़ें-

केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कहां गायब हो गए थे राघव चड्ढा? 'आप की अदालत' में खुद दिया जवाब

'कोई राहुल को नेता मानने के लिए तैयार नहीं', इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर ममता के बयान पर बोली बीजेपी

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement