Highlights
- टिकट बुकिंग को लेकर भारतीय रेलवे का बड़ा खुलासा
- पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए दलाल बुक करते थे टिकट
- जीआरपी ने कई दलालों को किया गिरफ्तार
वेस्टर्न रेलवे के राजकोट डिवीजन की RPF ने इंटेलिजेन्स की मदद से दलालों के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद चौकाने वाला है। रैकेट में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के बाद पता चला कि ये दलाल पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर की मदद से एक बार में एक मेल ID से 144 टिकट बुक कर लेते थे। जबकि IRCTC की रजिस्टर्ड मेल ID से सिर्फ 6 टिकट ही कानूनन बुक हो सकता है। जांच में इन आरोपियों से 74500 मेल ID की जानकारी RPF को पता चली है।
अभी तक 28 करोड़ के टिकट बेचने की जानकारी भी सामने आई है। ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में ये नेटवर्क ऑपरेट हो रहा था। फिलहाल अभी तक 3 राज्यो से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ग्राहकों से टिकट निकालने के लिए व्हाट्सएप और टेलीग्राम की मदद ली जाती थी। कोविड-19, कोविड-एक्स, एएनएमएसबीएसीके, ब्लैक टाइगर जैसे नाम के सॉफ्टवेयर इसमें इस्तेमाल होता था। जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक दलालों ने पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर की मदद से 28 करोड़ से ज्यादा की कमाई की है। इन आरोपियों के पास से 43 लाख रुपए से ज्यादा के टिकट भी बरामद किए गए हैं।
पेमेंट क्रिप्टो करेंसी के जरिये करते थे
भारतीय रेल के लम्बी दूरी की ट्रेनो में सीज़न के समय रिज़र्व टिकट बुक करना बड़ी चुनौती है। एक बार में एक login से 6 टिकट बुक किया जा सकता है। आरोपी स्पेशल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रेलवे के साथ जहां ठगी कर रहे थे, वहीं ग्राहकों को इसकी भनक तक नही लगती थी। पाकिस्तान और रूस के एंगल पर अब जांच एजेंसियों का फोकस है, सबसे अहम बात ये की सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए दलाल इसकी पेमेंट क्रिप्टो करेंसी के जरिये करते थे।
दलाल इस सॉफ्टवेयर को डार्क नेट से ख़रीदते थे जो की पाकिस्तान और रुस से ख़रीदे जाते थे। इस पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर में टिकट बुकिंग की कई प्रक्रिया को करने की ज़रूरत नहीं होती थी। जब आम ग्राहक ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं तो उन्हें 6 लोगों के नाम, केपचा भरना, पेमेंट के समय OTP भरने की प्रक्रिया होती है, जिसमें समय लगता है और कुछ मिनटों के प्रक्रिया के बाद 6 लोगों का टिकट बुक होता है। लेकिन इस पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर से एक बार में 144 लोगों के लिए रिज़र्व टिकट बुक हो जाते थे और केपचा या OTP भरने की ज़रूरत नहीं होती है। इसी कन्फ़र्म टिकट के लिए दलाल मनचाही क़ीमत पर ज़रूरतमंद यात्रियों को बेचते थे।
फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी भी देते थे
ये आरोपी लोगों को आईआरसीटीसी के फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी प्रदान करने के साथ-साथ सोशल मीडिया यानी टेलीग्राम, व्हाट्सएप आदि का उपयोग करके इन अवैध सॉफ्टवेयरों के विकास और टिकट बिक्री में शामिल थे। इन आरोपियों के पास नकली आईपी पते बनाने वाले सॉफ्टवेयर थे, जिनका इस्तेमाल ग्राहकों पर प्रति आईपी पते की सीमित संख्या में टिकट प्राप्त करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध को दूर करने के लिए किया जाता था। उन्होंने डिस्पोजेबल मोबाइल नंबर और डिस्पोजेबल ईमेल भी बेचे हैं, जिनका उपयोग आईआरसीटीसी की फर्जी यूजर आईडी बनाने के लिए ओटीपी सत्यापन के लिए किया जाता है।
अभिषेक ही मास्टरमाइंड बताया गया है
ह्यूमन इंटेलिजेंस द्वारा डिजिटल इनपुट के आधार पर दी गई जानकारी के आधार पर आरपीएफ की टीम ने राजकोट के मन्नान वाघेला (ट्रैवल एजेंट) को पकड़ने में सफलता हासिल की, जो बड़ी मात्रा में रेलवे टिकटों को हथियाने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर यानी कोविड-19 का उपयोग कर रहा था। इसके अलावा, एक अन्य व्यक्ति कन्हैया गिरी (अवैध सॉफ़्टवेयर कोविड-एक्स, एएनएमएसबीएसीके, ब्लैक टाइगर आदि के सुपर विक्रेता) को वाघेला द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर मुंबई से गिरफ्तार किया गया है।
पूछताछ के दौरान गिरी ने अन्य सहयोगियों और वापी के एडमिन/डेवलपर अभिषेक शर्मा के नामों का खुलासा किया, जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। अभिषेक शर्मा ने इन सभी अवैध सॉफ्टवेयर्स के एडमिन होने की बात कबूल की है अभी तक कि जांच में अभिषेक ही मास्टरमाइंड बताया गया है। गिरफ्तार आरोपियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर, 3 और आरोपी व्यक्तियों- अमन कुमार शर्मा, वीरेंद्र गुप्ता और अभिषेक तिवारी को क्रमशः मुंबई, वलसाड (गुजरात) और सुल्तानपुर (यूपी) से गिरफ्तार किया गया। आरपीएफ इस मामले में शामिल कुछ और संदिग्धों की तलाश कर रही है।